भोपाल। शिवराज सरकार घोटालों को नहीं रोक पाई तो क्या, व्यापमं का नामोनिशान ही मिटा डााला। जिस नाम के कारण शिवराज बदनाम हो गया है, उसे जिंदा रहने का हक भी कहां था। मैं तो संतोष कर रहा हूं कि अच्छा हुआ मीडिया के दिग्गजों ने इसे व्यापमं घोटाला ही कहा, एमपी स्कैम नाम देते तो...?
व्यापमं ने शिवराज को बड़ा बदनाम किया इसलिए शिवराज की सरकार ने व्यापमं का नाम ही बदल दिया। वैसे तो शिवराज हिंदी की वकालत कर रहे हैं, हिंदी के लिए गली गली घूम रहे हैं परंतु व्यापमं का नया नाम है 'प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड।' आप इसे MPPEB भी कह सकते हैं। नया नाम अपने आप में एक भ्रम भी पैदा करता है MPPEB और MPEB अगली बार घोटाला हुआ तो पब्लिक कंफ्यूज्या जाएगी घोटाला हुआ कहां हैं MPPEB में या MPEB में।
चलिए 2 मिनिट का मौन रखें और व्यापमं को याद कर लें
व्यापमं का इतिहास करीब 45 साल पुराना है।
1970 में प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड नाम से इसकी नींव रखी गई थी।
11 साल बाद 1981 में इसका नाम बदलकर प्री-इंजीनियरिंग बोर्ड कर दिया गया।
एक साल बाद 1982 में ही इसे नया नाम प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड यानि व्यावसायिक परीक्षा मंडल दिया गया।
पिछले 23 साल से यह 'व्यापमं' नाम से ही लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ था।
व्यापमं अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड हो गया।
एक जमाने मेंं व्यापमं निष्पक्ष परीक्षाएं कराने के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था।
यह फुलप्रूफ माना जाता था, पेपर लीक होना या किसी भी जुगाड़ की संभावना तक नहीं थी।
नेताओं का कोई दवाब यहां नहीं चलता था। सिफारिशें रद्दी कर दी जातीं थीं।
मप्र में लाखों योग्य युवाओं को व्यापमं की निष्पक्षता के कारण ही नौकरी मिली।
अब इसी व्यापमं के कारण लाखों योग्य युवा बेरोजगार रह गए।