भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग, मप्र में पदोन्नति के लिए 30 सालों से प्रतीक्षारत महिला पर्यवेक्षकों को अंततः 28 अप्रैल को विकास खंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी पद पर पदोन्नति तो दे दी गई, लेकिन यह 4 महीने गुजर रहे हैं उन्हें अभी तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया।
हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार 19 अगस्त नागपंचमी से शुरू हो जाते हैं। रक्षा बंधन, हरतालिका, तीज त्यौहार महिलाओं के है। कुछ तो ऐसी भी महिला कर्मी है जिनका वेतन से ही भरण पोषण होता है। बच्चों के स्कूल-कालेज की फीस, उस पर यदि 4 महीनों से वेतन न मिले, महिलाओं की दयनीय हालत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में पदोन्नति प्राप्त तकरीबन 160 पर्यवेक्षकों का नाम अब कोषालय की वेब साईट से कट चुका है। जब तक उनका नाम पदोन्नत पद के साथ नहीं जोड़ा जाता तब तक उनके वेतन का भुगतान संभव नहीं है।
मौलिक व् मानवाधिकार हनन से प्रताड़ित हो रही महिलाओ को उनका हक़ दिलाने में महिला एवं बाल विकास विभाग की नकारात्मक एवं उपेक्षापूर्ण भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
विभाग के उच्च पदों पर आसीन अधिकारी जब अपने ही विभाग की महिला कर्मियों को उनका हक नहीं दे रहे हैं, तो वह शासन की मंशानुसार आम महिलाओं को कैसे सशक्त बनाएंगे ? विचारणीय है।