सुधीर ताम्रकार/बालाघाट/वारासिवनी। बालाघाट जिले में राईस सिटी के नाम से चर्चित वारासिवनी नगर में 3 राईस मिले बिना वैध कनेक्शन के संचालित की जा रही है। इन राईस मिलों को राष्टीयकृत बैकों से करोडो रूपये के लोन स्वीकृत किए गए तथा स्वीकृत लोन के आधार पर जिला उद्योग केन्द्र से शासन द्वारा मान्य अनुदान भी इन मिलों के संचालकों ने प्राप्त कर लिया है। इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर हुआ है।
यह उल्लेखनीय हैं कि वारासिवनी नगर में लगभग 35 राईस मिले स्थापित है। इन 35 राईस मिल में से 3 राईस मिलों शुभ सारटेक्स, संचेती फूड प्रोसेस और संचेती सारटेक्स इन तीनों मिलों के नाम पर कोई वैध बिजली कनेक्शन नहीं है। इस आशय की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत कार्यपालन यंत्री मध्यप्रदेश पूर्वी क्षेत्र विधुत वितरण कंपनी वारासिवनी द्वारा प्रदत्त की गई है।
जिला उद्योग केन्द्र से सूचना के अधिकार के तहत महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र बालाघाट द्वारा यह अवगत कराया गया हैं कि संचेती सारटेक्स लालबर्रा रोड वारासिवनी प्रोपाईटर श्री गौरव संचेती को जिला स्तरीय सहायता समिति की 13 मई 2015 को 15 लाख रूपये विशेष अनुदान स्वीकृत किया गया है। यह उल्लेखनीय हैं कि सहायक यंत्री मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी वारासिवनी द्वारा उल्लेखित राईस मिलों के भौतिक सत्यापन कर जो रिपोर्ट कार्यपालन अभियंता वारासिवनी को सौंपी गई है। उसके अनुसार रिपोर्ट में अवगत कराया हैं कि इन राईस मिलों को कोई बिजली कनेक्शन प्रदाय नहीं किया गया है। तो प्रश्न पैदा होता है कि क्या यह राईस मिले बिना बिजली या बिना वैध कनेक्शन के अथवा क्या सौर उर्जा से चलाई जा रही है।
मध्यप्रदेश विद्युत मंडल सिवनी के अधीक्षण यंत्री ए के मेश्राम को इस संबंध में अवगत कराया गया, तो उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इन राईस मिलों को जिन्होंने वैध कनेक्शन नहीं लिया है। उन्हें यदि किसी अन्य उपभोक्ता द्वारा विभाग की अनुमति के बिना अथवा अवैध रूप से बिजली प्रदाय की गई हैं, तो बिजली लेने व देने वाले के विरूद्ध धारा 126 के तहत कार्यवाही की जायेगी।
इस संबंध में डीई सुधीर दुबे को अवगत कराने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर आगे की कार्यवाही करेंगे। वैसे भी विभाग की बिना अनुमति के किसी अन्य को बिजली कनेक्शन देना कानूनन अपराध है।
विदित हो कि नगर व क्षेत्र में अनेंक राईस मिलों में इसी प्रकार अवैधानिक रूप से कनेक्शन देकर राईस मिलों को संचालित किया जा रहा है और शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया जा रहा है।
यदि एक सामान्य उपभोक्ता किसी अन्य को बिजली कनेक्शन देता है और मंडल के अधिकारी-कर्मचारी उसे पकड लेते हैं, तो उसे जेल जाना पडता है। लेकिन रसूखदार लोग इस तरह की अवैधानिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ विभाग कोई कडी कार्यवाही क्यों नहीं करता है। यह मिलें पिछले 4 वर्षो से चल रहा है। जबकिविभाग के कर्मचारी प्रतिमाह इन मिलों में बिजली रीडिंग लेने के लिएजाते हैं, तोक्या उन्हें यह अनियमितता नजर नहीं आई. अथवा फिर हरे-हरे गाॅधी जी ने उनको गॅूगा बना कर रखा हुआ था।