भोपाल। यूं तो बाबूलाल गौर मध्यप्रदेश में केबीनेट मंत्री हैं और इसी हेसियत से सरकारी खर्चे पर दिल्ली गए हैं परंतु जब वो संघ नेताओं से मिलने पहुंचे तो उनकी पहचान मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में हुई। लोगों का अनुमान है कि मप्र में मंत्रीमंडल विस्तार के दौरान अपना पत्ता कट होने से बचाने के लिए बाबूलाल दिल्ली में हैं जबकि कुछ पंडितों का मानना है कि मामला कुछ और ही है।
सरकारी रिकार्ड में दर्ज कार्यक्रम के अनुसार ह अभी अगले दो दिनों तक रहेंगे। इस बीच उनका राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और थावरचंद्र गहलोत से मुलाकात का कार्यक्रम है। कहा जा रहा है कि इसके अलावा वो संघ और संगठन के नेताओं से भी मिलेंगे।
कुछ मीडिया घरानों का मानना है कि बाबूलाल गौर अपनी कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली में जा जमे हैं परंतु पंडितों का कहना है कि बाबूलाल गौर तो पहले ही घोषित कर चुके हैं कि यह उनकी आखरी पारी है। भोपाल में उनकी सक्रियता और लोकप्रियता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता अत: उन्हे भोपाल से और मंत्रीमंडल से बाहर निकालना शिवराज सिंह के बूते की बात नहीं।
पंडितों का अनुमान है कि मामला कुछ और ही है। संघ कार्यालय ने उन्हें मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की हेसियत से बुलाया है और मध्यप्रदेश में भाजपा के भविष्य पर बन रही रणनीति में उनके सुझावों को शामिल किया जा रहा है। अब यह तय माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव से 2 साल पहले मध्यप्रदेश के सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव होगा।