भोपाल। इसे कहते हैं लालफीताशाही। अधिकारी यदि ठान लें तो लहलहाता खेत मुरझा जाए। इंदौर-हबीबगंज डबल डेकर ऐसी ट्रेन के साथ भी ऐसा ही हुआ है। तमाम इंतजार के बाद 11 कोच से शुरू हुई यह ट्रेन 2 कोच तक सिमट गई और अब इसे बंद किया जा रहा है। कृपया गौर कीजिए, अधिकारीगण इसका टाइम बदलने को तैयार नहीं हैं, भले ही ट्रेन बंद हो जाए।
डबल डेकर ट्रेन को शुरूआत से ही गिने-चुने यात्री मिल रहे हैं। कारण सिर्फ 2 हैं। पहला इसकी टाइमिंग गलत हैं, और दूसरा इसका किराया तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक है और ये दोनों ही हरकतें रेल अधिकारियों ने जान बूझकर कीं हैं। रेल लगातार फेल होती रही लेकिन बदलाव कभी नहीं किया गया। इस मामले में अधिकारी कुछ इस तरह रिएक्ट करते हैं मानो यह कोई प्राकृतिक आपदा है। हम कर ही क्या सकते हैं ?
जल्द ही लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बीच बैठक होना है, जिसमें डबल डेकर बंद करने पर सहमति हो सकती है। इसके बाद कभी भी ट्रेन बंद करने का ऐलान हो जाएगा। फिलहाल यह ट्रेन कभी दो तो तो कभी चार कोच से चलाई जा रही है। एक कोच भी यात्रियों से नहीं भर पाता।
इंदौर-भोपाल/हबीबगंज एसी डबल डेकर सितंबर-12 में शुरू की गई थी। शुरु से ही यात्रियों ने इसे पसंद नहीं किया। क्योंकि इसकी टाइमिंग गलत थी। यदि पूरा टाइम टेबल पलट दिया जाए, इंदौर की जगह भोपाल और भोपाल की जगह इंदौर लिख दिया जाए तो इस ट्रेन में पैर रखने को जगह नहीं बचेगी।
वर्तमान में इंदौर-भोपाल वाया उज्जैन डबल डेकर का प्रति यात्री एसी चेयरकार का किराया 445 और इंदौर-हबीबगंज वाया देवास-मक्सी प्रति यात्री किराया 405 रुपए है। यात्रियों को लगता है कि यह किराया अधिक है। यदि यह किराया 350 रुपए कर दिया जाए तो यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी और यदि कुछ समय के लिए 250 रुपए कर दिया जाए तो पूरे 11 कोच भर जाएंगे।
भोपाल इंदौर के बीच अच्छा रेल यातायात नहीं है जबकि पटरियां खाली पड़ीं हैं। यह ट्रेन यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा के प्रति आकर्षित करने के लिए शुरू की गई थी परंतु शुरू होते ही डबल डेकर के हाल कश्मीर जैसे हो गए। भोपाल और इंदौर के अधिकारी इस पर कब्जा करने की कोशिश करते रहे। नहीं कर पाए तो बंद करने का मन बना लिया।