पढ़ तो लीजिए, शशिथरूर कहना क्या चाहते हैं

नईदिल्ली। इधर याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाई गई और उधर शशि थरूर ने मृत्युदण्ड की व्यवस्था पर टिप्पणी की। थरूर की प्रति​क्रिया को याकूब मेमन ने जोड़कर देखा गया। थरूर की सोशल मीडिया पर जमकर कुटाई हुई। लोगों ने उन्हें देशद्रोही और गद्दार तक करार दिया लेकिन थरूर ने एक बार फिर अपना पक्ष स्पष्ट करने का प्रयास किया है। वो चाहते हैं कि एक बार लोग उनकी पूरी बात सुन लें। उसके बाद उन्हें जो प्रतिक्रिया देनी हो, स्वीकार्य है।

तिरूवनंतपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि  ‘आतंकवादियों को बिना पैरोल के पूरी जिंदगी के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया जाना चाहिए। प्रारंभिक दिनों में ऐसी मान्यता थी कि यदि कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है तो उसे भी मार दिया जाना चाहिए। हमें क्यों इस पुरानी अप्रचलित प्रथा का पालन करने की जरूरत है...?’ यहां एक कार्यक्रम के मौके पर उन्होंने कहा, ‘जब हम मृत्युदंड को तामील करते हैं तो हम वाकई उन्हीं की तरह बर्ताव करते हैं। वे हत्यारे हैं और राज्य (शासन) को उनकी तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए।’

मुम्बई के 1993 के बम विस्फोट के मुजरिम याकूब मेमन को फांसी देने के संबंध में उनके द्वारा किए गए ट्वीट पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा, ‘मैंने मेमन मामले पर एक शब्द तक नहीं कहा। दरअसल मैंने जो ट्वीट किया था, उसमें मैं व्यक्तिगत मामले के गुण-दोष में नहीं जा रहा था और यह उच्चतम न्यायालय की जिम्मेदारी थी। मैंने मृत्युदंड के विरूद्ध ट्वीट किया था जो एक पुरानी और अप्रचलित प्रथा है।’ संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी कहा था कि, ‘हमें किसी की जिंदगी लेने का हक नहीं है।’

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