भोपाल। मप्र हाईकोर्ट जबलपुर ने डीमेट परीक्षा कराने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। परीक्षा 30 सितम्बर से पहले होगी और आॅनलाइन ही होगी। प्राइवेट कॉलेजों का संगठन चाहता था कि इस साल आॅफलाइन करा दिया जाए, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। अलबत्ता यह छूट जरूर दे दी गई कि आंसरशीट का केप्चर लोकल सर्वर पर डाल दिया जाए।
एपीडीएमसी ने जिस एजेंसी का नाम सीलबंद लिफाफे में पेश किया, उसके एमडी को शुक्रवार तक इस बावत शपथपत्र देने को कहा गया कि एजेंसी हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार ही डीमेट परीक्षा संपन्न् कराएगी। बुधवार को चीफ जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर और जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ में दो दौर में इस मामले की सुनवाई हुई जो शाम 5:30 बजे तक चली।
मेन सर्वर की बजाय लोकल सर्वर पर क्लिक की छूट
हाईकोर्ट की विशेष युगलपीठ में पहले दौर की सुनवाई सुबह 10:30 बजे शुरू हुई। इस दौरान एपीडीएमसी के वकीलों ने सीलबंद लिफाफे में एजेंसी का नाम हाईकोर्ट के पटल पर रखा। उन्होंने मांग रखी कि ऑनलाइन परीक्षा में परीक्षार्थियों के प्रत्येक क्लिक को मेन सर्वर की बजाय लोकल सर्वर पर सेव करने की छूट देनी चाहिए। इसका याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने विरोध किया। हाईकोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए लोकल सर्वर पर क्लिक को कैप्चर करने की छूट दे दी। उन्होंने कहा कि इससे जनविश्वास भी कायम रहेगा और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 30 सितंबर से पूर्व डीमेट ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराई जा सकेगी।
ये कड़ी शर्तें लगाई गईं
हाईकोर्ट ने मेनसर्वर के बजाए लोकल सर्वर पर क्लिक कैप्चर करने की छूट तो दे दी लेकिन कड़ी शर्त लगाते हुए कहा कि इसकी मॉनीटरिंग एजेंसी एडमिशन एंड फीस रेग्युलेटरी कमेटी और एक स्वतंत्र निरीक्षण अधिकारी को दी जाएगी जो कि निक का सी ग्रेड वैज्ञानिक होगा।
हर परीक्षा केंद्र में लगाना होगा जैमर: हर परीक्षा केंद्र में जैमर लगाने के साथ ही निक के सी गे्रड वैज्ञानिक की नियुक्ति की सूचना एक हफ्ते में देनी होगी।
15 मिनट में घोषित करना होगा रिजल्ट: एजेंसी को परीक्षा खत्म होने की ठीक 15 मिनिट बाद रिजल्ट घोषित करना होगा।