जबलपुर। यहां के प्रख्यात Dristi Eye & Hospital में एक महिला अपनी आंख में दर्द का इलाज कराने गई थी। दर्द तो ठीक नहीं हुआ, आंख की रौशनी भी चली गई। अब पीड़ित महिला आॅपरेशन के लिए न्यायालय की चौखट पर है।
अधारताल निवासी लता गिरि को एक आंख से दिखना बंद हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बाईं आंख में दर्द की शिकायत पर वे इलाज कराने मदनमहल स्थिति Dr.H.S.Ray की Dristi Eye & Hospital क्लिीनिक पहुंच गईं।
डॉक्टर ने 2010 से इलाज करना शुरू किया जो 2015 तक लगातार जारी रहा। इस बीच डॉक्टर ने एक बार भी यह नहीं कहा कि केस उनकी क्षमता से बाहर है इसलिए बेहतर यही होगा कि अपेक्षाकृत समर्थ अस्पताल या डॉक्टर से इलाज करवा लिया जाए। नतीजतन बाईं आंख का दर्द ठीक होना तो दूर ऑपरेशन के चलते लता गिरि को अपनी बाईं आंख की रोशनी से ही हाथ धोना पड़ा।
शिकायतकर्ता की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर करने वाले अधिवक्ता आरके सिंह सैनी व अंजली पारे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रोफेशन की सेवा की श्रेणी में रखा है। लिहाजा, यदि कोई डॉक्टर मरीज के इलाज में लापरवाही करना है तो वह सेवा में कमी माना जाएगा। इसी आधार पर यह केस दायर किया गया है। इसके जरिए डॉ.एचएस रे से 5 साल में हुई क्षतिपूर्ति चाही गई है।
परिवादी को गलत इलाज के कारण मेडिकल के अलावा एक अन्य प्राइवेट डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ी। इन दोनों जगहों से यही सलाह मिली कि इस बीमारी का इलाज जबलपुर में मुमकिन ही नहीं। बेहतर यही होगा कि शंकर नेत्रालय चैन्नई जाकर ऑपरेशन कराया जाए। लिहाजा, 8 लाख का क्लेम किया गया है।
इस राशि से अब तक चुकाई गई फीस, दवाओं का खर्च, ऑपरेशन चार्ज आदि का समायोजन किया जाएगा। साथ ही मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति का भी दावा किया गया है। कंज्यूमर फोरम ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद इस संदर्भ में अनावेदक से जवाब मांग लिया है।