रेल हादसा: इन्होने बचाई रेल यात्रियों की जान

हरदा। इस हादसे को यात्री कभी नहीं भुला पाएंगे। चलती ट्रेन अचानक रुक गई और पानी में घंसती चली गई। मौत जैसे हर पल आगे बढ़ रही थी। अंधेरी रात में मदद की कोई उम्मीद ही नहीं थी। ड्यूटी पर तैनात रेल कर्मचारी अपनी जान बचाकर भागे नहीं बल्कि यात्रियों के बीच गए और उनकी मदद की।



कपड़ों की रस्सी बनाई और जुटे रहे
एसी कोच के कंडक्टर अशोक श्रीवास्तव ने बताया लोग पानी में बह रहे थे। साथ में ड्यूटी कर रहे टीटी सुशील गुप्ता, राहुल मौर्य और अन्य साथियों ने अपने-अपने कपड़े उतारे और उसको जोड़कर रस्सी बनाई। करीब दो घंटे तक बोगियों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के काम में जुटे रहे।





इस सिपाही ने बचाई 35 यात्रियों की जान
धीरे-धीरे पानी का बहाव तेज होता देख हम लोग ट्रेन के ऊपर चढ़कर पीछे के कोच की तरफ बढ़े। लोगों को कुछ समझा पाते इससे पहले ही एक व्यक्ति ने बहते पानी में छलांग लगा दी। इसके कारण वो बह गया। जैसे-तैसे कोच में पहुंचे। एक-एक कर यात्रियों को बाहर निकाला। करीब 35 यात्रियों को बाहर निकाला।
बृजकिशोर दीवान, आरपीएफ जवान जनता एक्सप्रेस



इंजन और कोच के बीच रस्सी बांधकर बचाया
कोच से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। धीरे-धीरे पानी कोच में भर रहा था, कोच में मैंने एक यात्री के पास दो रस्सी रखी देखी। दूसरे छोर पर जनता एक्सप्रेस खड़ी थी। उसके ड्राइवर को रस्सी बांधने का इशारा किया। इसके बाद कोच अौर जनता एक्सप्रेस के इंजन से रस्सी को बांधा। एक-एक कर यात्रियों को इसके सहारे दूसरे छोर पर निकाला गया। इसी के सहारे मैं भी बाहर आया। 23 साल की नौकरी में ऐसा हादसा कभी नहीं देखा। पास के ग्रामीणों ने यात्रियों की जान बचाने के लिए ओएचई के पाेल से रस्सी बांधकर बाहर निकाला। अगर रस्सी नहीं होती तो कोई जिंदा नहीं बचता।
महेंद्र कांसकर, गार्ड, कामायनी एक्सप्रेस

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