भोपाल। आईएएस की तर्ज पर राज्य के अधिकारी-कर्मचारी न केवल अपनी सीआर देख सकेंगे, बल्कि संतुष्ट न होने की दशा में आपत्ति भी दर्ज करा सकेंगे। इतना ही नहीं कर्मचारी 2008 से 13 तक की सीआर को देखकर भी अपनी आपत्ति दर्ज करा सकेंगे। आपत्ति सही पाए जाने पर सीआर को सुधारकर उन्हें पदोन्न्त किया जाएगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जुलाई 2014 के आदेश में संशोधन किया है।
आदेश को लेकर विभाग प्रमुखों की परेशानी बढ़ना तय है, क्योंकि पूर्व में सीआर दिखाने के आदेश जारी करने के बाद ही सभी विभागों में आवेदनों का ढेर लग गया है। ऐसे में अब सीआर से सहमत न होने पर एक माह में आपत्ति लगाकर उसमें सुधार करने की प्रावधान होने से नई समस्या खड़ी हो जाएगी।
आदेश से सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि जिस कर्मचारी-अधिकारी की सीआर खराब होने के कारण पदोन्न्ति नहीं हो पाई थी, यदि उसमें अब सुधार होता है तो ऐसे में पूर्व में पदोन्न्त कर्मचारी को पदावनत करना होगा। इससे विवाद की स्थिति बनेगी और मामले कोर्ट तक जा सकते हैं।
कार्मिक विभाग ने भी इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर इसके क्रियान्वयन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इधर सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है। जिसमें कहा गया था कि केन्द्र की तर्ज पर राज्य में 12 मई 2008 के बाद लिखी गई सीआर को संबंधित कर्मचारी द्वारा मांग किए जाने पर दिखाया जा सकेगा।