जबलपुर। जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस एसके गुप्ता की युगलपीठ ने एक मामले में से सरसंघ चालक मोहन भागवत के अलावा अन्य अधिकारियों के नाम एक सप्ताह में हटाने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए हैं एवं शेष 4 अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। बता दें कि इससे पहले मोहन भागवत समेत सभी अनावेदकों के नाम नोटिस जारी कर दिया गया था।
ध्यान रहे कि डेमोक्रेटिक लॉयर्स फोरम के अध्यक्ष ओपी यादव की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि बीते जनवरी माह में जबलपुर नगर निगम के महापौर व पार्षदों के चुनाव होना थे। याचिका में आरोप है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मतदान से पहले जबलपुर आए और उन्होंने एक बैठक बुलाई। बैठक में पश्चिम मध्य रेल के मण्डल प्रबंधक, कर्मचारी भविष्य निधि के आयुक्त, टेलीकॉम फैक्ट्री के चीफ जनरल मैनेजर को तलब किया गया। याचिका में आरोप है कि आरएसएस प्रमुख की क्लास में अफसरों को भाजपा के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान कराने की समझाइश दी गई।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भारत सरकार के सीसीएस (कंडक्ट) रूल्स 1964 के नियम 5 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि केन्द्र सरकार के कोई भी अधिकारी या कर्मचारी आरएसएस या जमायते इस्लामी जैसे संगठनों की गतिविधियों में भाग नहीं ले सकेंगे, इसके बाद भी आरएसएस प्रमुख की क्लास में अफसरों की मौजूदगी अवैधानिक था।
इस बारे में दोषी अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों के बाद कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई। बीते गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर याचिका में बनाए गए मोहन भागवत समेत सभी अनावेदकों को नोटिस जारी किए थे। शाम करीब 6 बजे हाईकोर्ट ने उक्त आदेश वापस लेकर उस पर फिर से सुनवाई करने के निर्देश दिए थे।
शुक्रवार को मामले पर आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रवीन्द्र गुप्ता, केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी जेके जैन, मप्र सरकार की ओर से महाधिवक्ता रवीश अग्रवाल, अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, केएस बाधवा और चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता विनय तिवारी हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने केन्द्र सरकार के डीओपीटी विभाग के सचिव, भारत के मुख्य निर्वाचन आयोग, मप्र निर्वाचन आयोग और जबलपुर कलेक्टर को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।