भोपाल। मप्र के 21500 पंचायत सचिवों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है क्योंकि उन्होंने मांगे जाने के बावजूद अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया है। पंचायत कमिश्नर रघुवीर श्रीवास्तव ने एक और मौका दिया है। उनका कहना है कि अब भी ब्यौरा नहीं दिया तो बर्खास्त कर दूंगा।
पंचायत सचिव लगातार लोकायुक्त छापे और रिश्वत लेते पकड़े जा रहे हैं। 2014 में श्योपुर के सचिव राजकुमार सिंह शुक्ला के यहां 1 करोड़ 26 लाख, मंडला के सचिव राजकुमार परस्ते के यहां 87 लाख 16 हजार और आलीराजपुर के सचिव हानिफ खान के यहां 86 लाख 45 हजार से ज्यादा की संपत्ति का खुलासा हुआ।
पंचायत कटंगी के सचिव राजू रजक 6 हजार, खरगोन की टेमरा पंचायत के सचिव जय सिंह मंगतिया 25 हजार और शिवपुरी की पंचायत बीरा के सचिव अरुण कुमार शर्मा 13 हजार 200 रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए थे। इसके अलावा पंचायतों को विकास कार्यों के लिए 50 लाख से डेढ़ करोड़ तक मिलने लगे हैं। 14वें वित्त आयोग में तो पंचायतों को ही निर्माण एजेंसी घोषित कर दिया है, ऐसे में पारदर्शिता जरूरी हो गई है। यही वजह है कि सरपंचों से चैक काटने के अधिकार भी ले लिए गए हैं।