मो.जावेद खान। आजाद अध्यापक संघ ने हमेशा हर मुददे को दिल से और पूरी सच्चाई के साथ लड़ा है। आज कुछ परिणाम जानने के अधिर साथी कुछ इस तरह अपना आपा खोते है कि उन्होने अपना सर्वस्व खो दिया हो और आन्दोलन समाप्त हो गया हो। यह सर्व विदीत है कि हमने दो कदम पीछे सिर्फ इसलिये लिये है कि माननीय उच्च् न्यायालय का सम्मान, हमारे मुख्यमंत्री जी की अपील और प्रशासनीक अधिकारियों का नैतिक पक्ष सभी का एक साथ आदर किया गया लेकिन आप यह भी जानते है कि यह एक पक्षीय नही होता।
हम धैर्यवान तब तक है जब तक कि हमारे इन प्रयासो का भी सम्मान किया जाकर हमारी दोनों मुख्य मांगो का निराकरण न कर दिया जाता है। यदि इसके बाद भी शासन प्रशासन के मन में हमारे इस नैतिक पक्ष को हमारी कमजोरी माना या हमारे साथ किसी प्रकार का छल किया गया तो इस आन्दोलन का अंतिम दृष्य अभी पूरा देश देखेगा।
सरकार से यह बात कहना चाहूंगा कि हमारे आन्दोलन को राजनीतिक चश्मे से कदापि ना देखे । हम किसी भी हालत में किसी भी राजनीतिक संगठन का समर्थन लेने वाले नही है और ना ही इस समय हम किसी दल विशेष के समर्थक है। यह शुद्ध रूप से अध्यापक आन्दोलन है और हमारी मांग एक सिरा हमारे मुख्यमंत्री की उदारता से जुड़ा है तो दुसरा हिस्सा देश के समानता के कानून से। आजाद अध्यापक संघ आन्दोलन में शहीद हुए अपने किसी भी साथी की शहादत को बेकार नही जाने देगा।
अध्यापको को सवाल खड़े करने की अपेक्षा यह जान लेना चाहिए कि यदि हमारा आन्दोलन जारी है तो इसका सीधा अर्थ यह है कि अभी अध्यापक हित में कोई निर्णय सरकार ने नही लिये है। आपसे अपील है कि संयमित रहे और चरम की फिसलन से बचे। आन्दोलन की सफलता हमारी एकता है का परिणाम है इसकी जड़े पल प्रतिपल आप गहरी करे। यह संघो की नही हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। सरकार ने हमारी ताकत को समझ लिया है। भोपाल से दिल्ली तक अध्यापको की क्रांति के स्वर गुंंजित हो रहे है। मैने एक समय कहा था कि मध्यप्रदेश की यह आजाद क्रांति देश भर के लिए नई क्रांति का आगाज बनेगी और यह हो गया है।
अब आप अपने नेतृत्व पर भरोसा कर हमारे साथ बने रहे। अगली कड़ी को भी आपके सामने रखेंगे लेकिन तब तक अपने विद्यालयो के बच्चो में नैतिकता का संचार करे क्योंकि यही नैतिकता प्रदेश में स्वर्णिम अक्षरो में लिखी जाने वाली है उम्मीद है आप मेरी बात का आशय समझ रहे होंगे।
धन्यवाद ।
आपका भाई
मो.जावेद खान
प्रांतिय महासचीव आजाद अध्यापक संघ म.प्र.