जबलपुर। मप्र यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉइज एवं इंजीनियर्स की प्रमुख सचिव ऊर्जा से 11 सूत्रीय मांग को लेकर आयोजित की गई बैठक से निकलकर आए निर्णय के बाद हड़ताल स्थगित करने का निर्णय ले लिया गया हैै। फोरम पदाधिकारियों का कहना है कि 11 सूत्रीय मांगों पर मिनिट्स ऑफ मीटिंग द्वारा शासन की स्थिति की लिखित जानकारी दी गई, इसमें ज्यादातर बिन्दुओं पर सहमति दर्शाई गई हैै।
-फोरम की सोमवार की रात में आपात बैठक शेड क्र. 13 में आयोजित की गई और 2 सितम्बर से आयोजित अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के निर्णय को 1 माह तक स्थगित करने का फैसला लिया गया। इस अवसर पर फोरम के संयोजक व्हीकेएस परिहार, आनंद तिवारी, अनीष सिंघई, अशोक जैन, सुनील कुरेले, केके पैगवार, हरेन्द्र श्रीवास्तव, जेबी भट्टाचार्य, अर्जुन यादव, दिनेश दुबे, एमएल शाक्य, जीके वैष्णव, मुकेश जैन मौजूद रहे।
बिजली कंपनियों की अर्जी गंभीर परिणाम होंगे
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड समेत अन्य सभी िबजली कंपनियों की ओर से 28 अगस्त को इंदौर श्रम विभाग को पत्र भेजा गया। श्रमायुक्त के समक्ष बात रखी गई कि मप्र यूनाइटेड फोरम फॉर एम्पलॉइज एवं इंजीनियर्स तथा अन्य संगठनों द्वारा 2 सितम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया है, इससे पूरे राज्य में विद्युत व्यवस्था में व्यवधान आने के कारण जनसामान्य हेतु गंभीर परिस्थितियां उत्पन्न होंगी। मामले पर विचार करने के बाद अपर श्रमायुक्त ने आदेश जारी करते हुए हड़ताल पर रोक लगा दी। उल्लेखनीय है कि औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 10 की उपधारा (3) के अंतर्गत प्रावधान है कि औद्योगिक विवाद को श्रम न्यायालय को संदर्भित करने के पश्चात उपयुक्त शासन ऐसे औद्योगिक विवाद से संबंधित किसी हड़ताल का निषेध कर सकता है।
हर घंटे बदले समीकरण, दोहरे झटके के बाद कर्मचारी संगठन ने बुलाई अापात बैठक, मिनिट्स मिलते ही नरमी दिखाई
कर्मचारी हित हमेशा सर्वोपरि
कर्मचारी हितों को हमेशा ही प्राथमिकता दी जाती रही है। राज्य सरकार भी हितों को पूरा संरक्षण दे रही है। शुरूआती दौर से ही यह बात उठाई गई कि किसी भी समस्या का हल आपसी विचार-विमर्श से किया जा सकता है, हड़ताल की जरूरत ही नहीं। बहरहाल, िबजली कंपनियां कर्मचारियों के हितों पर आगे भी ध्यान देंगी।
-संजय शुक्ल, एमडी, मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी
गृह विभाग ने लगाया एस्मा
मप्र शासन के गृह विभाग ने सोमवार को सूचना जारी करते हुए अत्यावश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के अंतर्गत ऊर्जा विभाग के अधीनस्थ प्रदेश की सभी छह विद्युत कंपनियों के संबंधित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं अत्यावश्यक सेवा घोषित की हैं। गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार को यह समाधान हो गया है कि लोकहित में यह आवश्यक तथा समीचीन है कि प्रदेश की छह बिजली कंपनियों के कार्मिकों द्वारा की गईं सेवाओं में अत्यावश्यक सेवा में कार्य करने से इनकार किए जाने का प्रतिबंध किया जाए। अतएव मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 (क्रमांक 10 सन् 1979) की धारा-4 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य सरकार द्वारा 31 अगस्त 2015 से तीन माह की अवधि के लिए सूची में विनिर्दिष्ट की गई, अत्यावश्यक सेवाओं में कार्य करने से इनकार किए जाने का प्रतिषेध करती है।