वन विभाग की लापरवाही से ग्रामीण की मौत

Bhopal Samachar
लाड़कुई। ग्राम सुआपानी में सियार के काटने से करीब 13लोग घायल हो गये। 14 अगस्त सुबह के 4 बजे करीब अचानक ग्राम में सियार के काटने से घायल हो गये। जिसकी षिकायत ग्रामीणो द्वारा वन परिक्षेत्र लाड़कुई में आकर वन परिक्षेत्राधिकारी विष्वनाथ षर्मा से की। तव ही वन उपमंडलाधिकारी बुधनी भी वहा आ गये। ग्रामीणो द्वारा उनसे भी गुहार लगाई गई। लेकिन अष्वास के अलावा इन अधिकारी से ग्रामीणो को कोई मद्द नही मिली ओर उन्हे लोक सेवा केन्द्र का रास्ता दिखा दिया गया। जिसमें महज 30 रूपये की रषीद के अलावा उन ग्रामीणो को कुछ भी हासील नही हुआ। सभी ग्रामीण अपने इलाज के लिये अलग अलग अस्पतालो एवं वेद हकीम के चक्कर लगाकर अपना अलाज कराने का प्रयास कर रहे है। ग्रामीणो ने बताया कि मात्र खाना पूर्ति करने के लिये डिप्टी सुनील चैहान एवं बीटगार्ड साहॅू यह आये ओर जानकारी लेकर चले गये। पीडितो में सभी जो की सियार के काटने घायल हुये उनकी परिस्थिति नाजुक बनी हुई है। किसी को बुखार तो कोई घाव सेें पीडित है। जिसमें से आषाराम आ0 बोंदर उम्र 60 वर्प की मृत्यु होने के बाद से षेप सभी सक्ते में आ गये। लेकिन अभी तक वन परिक्षेत्राधिकारी व कर्मचारी द्वारा उपकी सुध नही ली गई है। इस संबंध में जब पत्रकारो को जानकारी मिलने तो पीडितो के ग्राम सुआपानी पहुॅचे जहाॅ ग्रामीणो के हाल बुरे है। 
परिक्ष्ेात्राधिकारी कर्तव्य के प्रति लापरवाह - इनकी हालत देखकर वन परिक्षेत्राधिकारी विष्वनाथ षर्मा से फोन पर चर्चा की गई तो परिक्षेत्राधिकारी द्वारा बताया गया कि मै 6 दिवस के अवकाष पर भोपाल में आया हूॅ। वही उन्होने बताया कि मरने वाले ग्रामीणो पर कार्यवाही वन मंडलाधिकारी सीहोर के द्वारा की जायेगी। लेकिन जब पत्रकार टीम वन परिक्षेत्र लाड़कुई (सामान्य) पहुॅच कर जानकारी ली गई तो बाते कुछ अजीव ही हुई। वहा पर उपस्थित परिक्षेत्र लिपिक एस.सी. बाकरियाॅ द्वारा वताया गया कि वन परिक्षेत्राधिकारी मीटिंग के लिये सीहोर गये है ओर अवकाष की हमें पास कोई जानकारी नही है ना ही लिखित व मौखिक तोर पर हमारे पास काई जानकारी नही है। इससे यह प्रतीत होता हैं वन परिक्षेत्राधिकारी विष्वनाथ षर्मा अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह व्यक्ति है। उनकी लापरवाही के चलते सियार के काटने से घायल ग्रामीणो का समय पर इलाज नही हो पा रहा है ओर विभागिय लापरवाही के चलते उनकी मौत हो रही है। इतना ही नही जो लोग घायल है उनकी भी हालत नाजुक बनी हुई है। अगर वन विभाग द्वारा इन पीडितो की ओर ध्यान नही दिया गया तो ओर भी जाने जा सकती है। ग्रामीण मजदूर तवके के होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नही हैं। जिसके चलते वे अपना इलाज कराने में असर्मथ है। जिस पर वन विभाग द्वारा ध्यान न देना उन्हे प्रतिदिन मौत के करीब ले जा रहा है। 
वन विभाग द्वारा दी जानी थी मद्द - इस संबंध में वन परिक्षेत्र लिपिक से जानकारी चाही गई तो उन्होने बताया कि वन अधिनियम 10.1 के अनुसार वन विभाग द्वारा प्रतिदिन घायल को इलाज के लिये 500 रूपये अस्पताल खर्च दिया जाना चाहिये ओर इलाज के दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे मुआवजे के तोर पर एक लाख पचास हजार की राषि दी जाती है। लेकिन आज दिनाॅक तक वन विभाग द्वारा इस प्रकार की कोई मदद नही की गई है। लेकिन पीडित को पहले अपने पास से ही इलाज कराना होगा। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भी वन विभाग द्वारा ग्रामीेणो की कोई मद्द नही कर उन्हे मौत में मुहॅू में धकेला जा रहा है। अगर प्रषासन द्वारा ग्रामीणो को इलाज के लिये आर्थिक मद्द नही की गई तो उनकी मौत निष्चित है। 
कर्ज लेकर करा रहे है इलाज - वही ग्रामीणो ने बताया कि जो दबाये अस्पतालो में उपलब्ध है वहा तो मिल रहा है। लेकिन जो दवाये बाहर से लाने को थी वहा लाने में असर्मथ है उसके लिये हमें कर्ज लेकर अपना इलाज कराने का प्रयास कर रहे है। वही ग्रामीणो द्वारा 11 सौ रूपये का वहान किराये पर लेकर गया जब कि प्रषासन द्वारा 108 चलाई जा रही है। इतना ही नही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी इन गरीबो पर कोई रहम नही दिखाया वहा भी रोगी कल्याण समिति नसरूल्लागंज द्वारा 5 रूपये की पर्ची तक थमा दी। ग्रामीण अस्ताक अली द्वारा बताया गया ही उनकी माता बिलकिस पति मुबारिक एवं पिता मुबारिक आ0 सकूर दोनो को सियार द्वारा घायल किया है। जिनका इलाज भोपाल के एक निजी अस्पताल में चल रहा है जहाॅ अभी तक 60 हजार रूपये खर्च हो चुके है वही मनोज आ0 मोती अपने खर्च पर सीहोर के निजी स्वास्थ्य केन्द्र में अपना इलाज करा रहा है। वही ग्रामीण बाबूलाल प्रजापति द्वारा बताया गया कि ग्रामीण प्रतिदिन अन्य लोगो के बताये स्थानो पर जा-जा कर अपना इलाज करा रहे है। जिसमें से कोई 6500 रूपये खर्च करके उज्जैन कल्लू हरिजन के पास जा रहा है तो कोई सतवास से 200 किलोमीटर दूर 5000 रूपये खर्च करके टीटवास से रोटी मत्राकर ला रहा है। लेकिन कोई भी सक्षम अधिकारी इनकी सुध तक नही ले रहा है। एक तरफ तो षासन गरीबो की मदद करने की वात करता है दूसरी ओर प्रदेष के मुखिया षिवराजसिंह चैहान के गृह क्षेत्र में ही कई ग्रामीण जिन्दगी ओर मौत से लड रहे है। लेकिन वन परिक्षेत्र के अधिकारी एवं कर्मचारी अपना पल्लू झाडते हुये कोई मदद नही कर रहे है लोक सेवा केन्द्र का रास्ता दिखा रहे है। ग्रामीणो ने समाचार पत्र के माध्यम से षासन से मदद की गुहार लगाई है। जिससे ग्रामीणो का इलाज षासन द्वारा कराया जा सके।        

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