शिवराज की मजबूरी को बहादुरी बता रहे नंदकुमार

भोपाल। इसमें कोई दो राय नहीं कि नंदकुमार सिंह चौहान के रूप में शिवराज सिंह चौहान को एक बेहतरीन फालोअर मिल गया है। नंदकुमार हर उस मामले में शिवराज की तारीफ करते हैं जिसमें वो पूरी तरह से घिर चुके हों। पहले व्यापमं के मामले में उन्हें 'गंगा की तरह पवित्र' बताया था, अब पेटलावद हादसे में उन्हें गांधी और जयप्रकार के समकक्ष नेता बता डाला।

नंदकुमार सिंह चौहान ने बड़ी ही चतुराई के साथ बताया कि भारत के इतिहास में बिना सुरक्षा के लोगों की भीड़ में जाने का साहस महात्‍मा गांधी और जयप्रकाश नारायण के बाद अब देखा गया तो शिवराज सिंह में देखा गया। शिवराज सिंह ने नाराज लोगों की भीड़ के बीच पहुंचकर अपनी संवेदशीलता दिखाई।

  • याद दिला दें कि घटना के समय हिंदी सम्मेलन को संबोधित कर रहे शिवराज सिंह चौहान दूसरे दिन पेटलावद पहुंचे थे।
  • जब वो पहुंचे तो आक्रोशित भीड़ से बचने के लिए उन्होंने दूसरे रास्ते का चयन किया।
  • उसके बाद भी जब भीड़ ने घेर लिया तो शिवराज के पास कोई दूसरा रास्ता शेष नहीं रह गया था।
  • यदि वो कार से उतरकर भीड़ के बीच बात नहीं करते तो कोई भी हादसा हो सकता था।
  • इस मामले में आप शिवराज की रणनीति की तारीफ कर सकते हैं कि उन्होंने सुरक्षा का इंतजार नहीं किया और सही समय पर निर्णय लिया।
  • लेकिन इसे गांधी और जयप्रकाश जैसे आमजन के प्रति प्रेम का उदाहरण कतई नहीं बताया जा सकता।
  • आक्रोशित भीड़ के बीच सड़क पर बैठना शिवराज की मजबूरी थी। खुशी नही। 

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