भोपाल। यदि स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों की मान्यता शुल्क लेने का निर्णय वापस नहीं लिया तो बच्चों की फीस बढ़ा दी जाएगी। स्कूल संचालक हर साल यह मान्यता शुल्क नहीं दे सकेंगे। उनके ऊपर अन्य कई शुल्क भी लग रहे हैं, इस कारण मान्यता के लिए इतना पैसा हर साल जमा नहीं किया जा सकता।
इस तरह की एक दर्जन मांगें भोपाल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन मप्र ने टीटी नगर स्थित दशहरा मैदान पर शनिवार को दिए गए धरना-प्रदर्शन के दौरान कीं। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह के नेतृत्व में दिए गए इस धरने पर सैकड़ों प्राइवेट स्कूलों के संचालक मौजूद थे। इस दौरान अधिकतर वक्ताओं ने नारेबाजी करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लिए जाने वाले शुल्क का विरोध करते हुए उस निर्णय को वापस लेने की मांग की। साथ ही कहा कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो वे स्कूल बंद करने तक से नहीं चूकेंगे। उधर, लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों ने मांगों को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही। धरना-प्रदर्शन के बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंपा।
- मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
- स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस साल से २१ हजार रुपए की राशि मान्यता शुल्क के नाम पर ली गई है। जबकि पूर्व में इतनी ही राशि पांच साल के लिए मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल लेता था। माशिमं वर्तमान में भी उतना ही शुल्क ले रहा है। इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग का शुल्क लेने का निर्णय वापस लिया जाए।
- रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी मप्र द्वारा धारा २७-२८ की जानकारी के लिए अब २ हजार रुपए लिए जाने लगे हैं। पूर्व में मात्र 400 रुपए प्रति वर्ष ही लगते थे। इस शुल्क को भी पहले की तरह किया जाए।
- सभी प्राइवेट स्कूलों को अस्थाई की जगह स्थाई मान्यता प्रदान की जाए।
- सभी प्राइवेट स्कूलों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखा जाए।
- शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत एडमिशन दिए जाने वाले बच्चों की फीस का भुगतान हर साल मार्च तक हो।
- प्राइवेट स्कूलों को व्यावसायिक कर से मुक्त किया जाए।
- जो सुविधाएं सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दी जा रही हैं, वे प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को भी मिलें।
- जिन प्राइवेट स्कूलों के पास स्वयं की जमीन नहीं हैं, उन्हें सरकारी रेट पर वह उपलब्ध करवाई जाए।
- सीबीएसई की तरह ही टीसी पर काउंटर सिग्नेचर की व्यवस्था से माशिमं से संबंधित स्कूलों के बच्चों को मुक्त किया जाए।
- शिक्षा संबंधी नीतियों के निर्धारण में प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करें।