भोपाल। ये सरकार की रणनीति है या इत्तेफाक परंतु जैसा परिदृश्य सामने आ रहा है उससे तो लगता है कि सरकार ने बर्बाद किसानों को मुआवजा ना देने का एक नया तरीका निकाल लिया है। इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता भी प्रभावित नहीं होगी और मुआवजा भी नहीं देना पड़ेगा।
बेसमय हुई बारिश से इस बार किसानों की खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं हैं। अलग अलग इलाकों में बर्बादी के अलग अलग कारण हैं। कई इलाके से तो ऐसे हैं जहां खेतों में लहलहाती हरियाली दिखाई दे रही है लेकिन फसलों में फल ही नहीं हैं, क्योंकि जब फूल आए थे तब बारिश हो गई। फूल झड़ गए, अब केवल हरे हरे पौधे लहरा रहे हैं।
इस मामले में एक बार फिर शिवराज सिंह ने संवेदनशील बयान जारी किए हैं। उन्होंने किसानों के लिए सरकारी खजाने खोलने का ऐलान किया है परंतु कलेक्टरों का रुख इस मामले में बड़ा ही बेरुखा है। वो मुआवजा मांगने आ रहे किसानों को दुत्कार कर भगा रहे हैं। ऐसा किसी एक जिले में नहीं हो रहा बल्कि एक दर्जन से ज्यादा जिलों में इसी तरह की शिकायतें आई हैं। हालात यह है कि किसान लाचार है और कांग्रेस चुप। कहां जाए, किससे गुहार लगाएं।