भोपाल। पंचायती एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत आजीविका मिशन की शासी निकाय (साधारण सभा) की बैठक दिनांक 18 जुलाई 2011 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आजीविका मिशन में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को शासकीय नियमित कर्मचारियों के समान मूल वेतन का न्यूनतम वेतन, पे बैंड , ग्रेड-पे के साथ राज्य शासन द्वारा समय - समय पर दिये जाने वाला मंहगाई भत्ता जोड़कर वेतन दिये जाने का निर्णय लिया गया था।
बैठक में लिये गये निर्णय के परिप्रेक्ष्य में विभाग की प्रमुख सचिव अरूणा शर्मा द्वारा दिनांक 26 मई 2012 को इस संबंध में विधिवत् आदेश जारी कर दिये गये थे । इस आदेश जारी हाने के बाद आजीविका मिशन के संविदा कर्मचारियों अधिकारियों को शासकीय नियमित कर्मचारियों के समान न्यूनतम वेतन, पे-बैंड, ग्रेड-पे और समय - समय पर शासकीय कर्मचारियों को मिलने वाले मंहगाई भत्ते के बराबर मंहगाई भत्ता दिया जाता रहा । लेकिन 2 मई 2015 को आजीविका मिशन के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विकास अवस्थी ने मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम.एल. बेलवाल के अनुमोदन से समस्त जिलों के जिला परियोजना प्रबंधकों को एक आदेश जारी कर दिया कि 26 मई 2012 को जारी किये गये आदेश जिसमें संविदा कर्मचारियों/अधिकारियों को शासकीय कर्मचारियों को दिये जाने वाले वेतन का न्यूनतम मूल वेतन, वेतन बैंड, ग्रेड पे और नियमित कर्मचारियों के समान दिये जाने वाला मंहगाई भत्ता नहीं दिया जाए ।
जिसका विरोध करते हुये म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने आजीविका मिशन के मुख्यकार्यपालन अधिकारी एम.एल. बेलवाल को ज्ञापन देकर कर्मचारी विरोधी आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी । महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा मुख्यकार्यपालन अधिकारी एम.एल. बेलवाल को तर्क दिया था कि जब विभाग की शासी निकाय (साधारण सभा ) समिति जिसके अध्यक्ष माननीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री होते हैं उपाध्यक्ष विभाग की प्रमुख सचिव होते हैं ऐसी समिति के द्वारा संविदा कर्मचारियों को शासकीय कर्मचारियों के समान वेतनमान और मंहगाई भत्ता दिये जाने की स्वीकृति दी गई थी, और उसके बाद विभाग की प्रमुख सचिव अरूणा शर्मा मैडम के द्वारा आदेश जारी किया गया है । उस आदेश के जारी होने के बाद तीन वर्ष तक वेतनमान और भत्ते दिये जाते रहे हैंे तो तो केवल आजीविका मिशन स्तर के अधिकारी संविदा कर्मचारियों को वेतन भत्ते बंद करने के आदेश को कैसे निरस्त कर सकते हैं ।
संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के ज्ञापन देने के एक माह पश्चात् भी आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एम.एल. बेलवाल के द्वारा संविदा कर्मचारियों को वेतनमान और भत्ते कम करने वाले आदेश को निरस्त नहीं किया ना ही उस पर कोई कार्यवाही की गई, जिसके कारण संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाया और उक्त तथ्यों को शामिल करते हुये अधिवक्ता के माध्यम् से 18 अगस्त 2015 को एक याचिका लगाई गई । याचिका पर सितम्बर प्रथम सप्ताह में सुनवाई करते हुये जबलपुर उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के माननीय न्यायाधीश के. के. त्रिवेदी के द्वारा आजीविका मिशन के अतिरिक्ति मुख्य कार्यपालन अधिकारी विकास अवस्थी के द्वारा संविदा कर्मचारियों के वेतन भत्ते कम करने के लिये जारी किये गये आदेश को आगामी सुनवाई तक के लिए निरस्त कर दिया है। और वेतन कम करने के आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं करने के निर्देश दिये हैं ।