भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने दिल्ली मुंबई और दूसरे महानगरों में बने मध्यप्रदेश सरकार के भवनों में विधायकों, सांसदों से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक सबके मुफ्त ठहरने पर रोक लगा दी है। अब वो इन भवनों में तभी ठहर पाएंगे जब सरकारी काम से गए हों, निजी काम से गए तो शुल्क चुकाना होगा।
याद दिला दें कि दिल्ली में एमपी हाउस, मध्यांचल भवन और मुम्बई में मध्यालोक भवन मप्र शासन की संपत्तियां हैं। यहां मप्र के विधायक, सांसद सहित तमाम अफसर मुफ्त ठहरने एवं खानपान का आनंद उठाया करते हैं। पिछले दिनों राज्यपाल अपनी एफआईआर के मामले में एमपी हाउस में सप्ताह भर तक डटे रहे थे, लेकिन अब ऐसा किया तो शुल्क चुकाना होगा।
पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री को राहत
आदेश में पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत दी गई है। वे एक वर्ष में तीस दिन तक निशुल्क यहां पर ठहर सकते हैं। एक वर्ष की अवधि में तीस दिन से ज्यादा होने पर उन्हें भी भुगतान करना होगा।
15 दिन तक 50 फीसदी की छूट
आदेश के मुताबिक जनप्रतिनिधियों को एक वर्ष में 15 दिनों तक ठहरने में 50 प्रतिशत तक की किराये में छूट रहेगी। इसके बाद उन्हें भी किराये का पूरा भुगतान करना होगा।
विधायकों का विरोध शुरू
जीतू जिराती एवं रामनिवास रावत ने इस व्यवस्था पर विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए या इलाज कराने के लिए कई बाद दिल्ली जाना पड़ता है। यह नियम नुक्सान पहुंचाएगा।