नई दिल्ली। निजी कंपनियों के लिए मानदंड में ढील देते हुए सरकार ने उन्हें अपने निदेशकों के रिश्तेदारों से धन स्वीकार करने की मंजूरी दे दी है।
इस ताजा पहल से कंपनियों के लिए अपनी धन की जरूरत पूरी करने के लिए कोष जुटाना थोड़ा और आसान हो जाएगा। कंपनी (जमा स्वीकार्यता) नियम में ढील देते हुए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा कि ऐसी स्थिति में विभिन्न कंपनियां किसी निदेशक के रिश्तेदार से धन प्राप्त कर सकती हैं। उन्हें इसका खुलासा बोर्ड की रिपोर्ट में करना होगा। इस संबंध में मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है।
अधिसूचना में कहा गया, "कंपनी के निदेशक या निजी कंपनी के निदेशक के रिश्तेदार, जिनसे भी धन प्राप्त किया जा रहा है, कंपनी को धन देते समय यह लिखित घोषणा करेगा कि जो धन दिया जा रहा है वह किसी से उधार लेकर या किसी से जमा लेकर नहीं दिया जा रहा है। इधर कंपनी को निदेशक मंडल की रपट में स्वीकार किए गए इस धन का खुलासा करना होगा।"
ताजा पहल के साथ किसी निजी कंपनी के निदेशक या उसके रिश्तेदार से प्राप्त धन अब ‘जमा’ की श्रेणी में नहीं रहेगा। गौरतलब है कि 15 सितंबर को जारी इस अधिसूचना में इसके अलावा मुक्त कोष (रिजर्व) का विस्तार किया गया है जिसमें प्रतिभूति प्रीमियम खाते को शामिल किया गया है।
प्रमुख परामर्श कंपनी पीडब्ल्यूसी इंडिया ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा "इसका अर्थ है कि सभी कंपनियां जो जमा (चुकता पूंजी और मुक्त कोष के प्रतिशत के आधार पर तय) स्वीकार करती हैं उन्हें यह फायदा होगा कि उनकी ऋण सीमा बढ़ेगी और जमा स्वीकार की क्षमता बढ़ेगी।" परामर्श कंपनी ने कहा कि ताजा संशोधन का स्वरूप सकारात्मक है और कंपनियों की कोष जुटाने की प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाएगा। हाल में सरकार ने कंपनी अधिनियम 2013 के कुछ प्रावधानों में संशोधन के अलावा बहुत से नियमों में बदलाव किए हैं। इसका लक्ष्य देश में कंपनियों के लिए कारोबार सुगम बनाना है।