इंदौर। यहां शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण घोटाला सामने आया है। शहरी क्षेत्र में अतिशेष शिक्षकों की भीड़ है और ग्रामीण क्षेत्रों में पद रिक्त पड़े हैं, फिर भी अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण नहीं किया गया बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर ली गई।
शहरी क्षेत्र के स्कूलों में करीब आठ हजार शिक्षक अतिशेष हैं। ये शिक्षक वर्तमान में प्राइमरी और मिडिल स्कूल में पदस्थ हैं। इन सभी को समायोजन के जरिए ग्रामीण अंचल के स्कूलों में भेजने के लिए सूची तो तैयार की गई, लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। विभाग का समायोजन का फैसला सिर्फ फाइलों तक ही सिमट कर रह गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग ने नए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर ली। बताया जा रहा है कि यह खेल अपनों को उपकृत करने एवं मोटी रिश्वत के बदले खेला गया है। कुछ अतिशेष शिक्षकों ने विभाग के अाला-अफसरों से अच्छे संबंधों के चलते अपनी पदस्थापना ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में रुकवा दी और जिनके पास पॉलिटिकल पॉवर नहीं थी, उन्होंने लिफाफे भेज दिए। इस तरह पूरी की पूरी प्रक्रिया ही रुक गई। बताया जा रहा है कि चढ़ावा डीईओ से लेकर वाया कलेक्टर होते हुए प्रभारी मंत्री एवं डीपीआई तक पहुंचा है। सही क्या है ये तो वही जाने जिन्होंने दिया या जिन्हे मिला लेकिन इतना जरूर है कि 8000 अतिशेष हैं जो अब भी शहर में पदस्थ हैं।