भोपाल। पदोन्नाति में आरक्षण के खिलाफ अब प्रदेश के सामान्य वर्ग के अधिकारी और कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। सामान्य वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ (सवाक्स) भी फिर सक्रिय हो गया है। संघ ने हाल में एक अभ्यावेदन मुख्य सचिव समेत अन्य आला अफसरों को भेजा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले का जिक्र किया गया है। सवाक्स ने मप्र लोक सेवा (पदोन्नाति) नियम 2002 की विसंगतियां दूर करने की मांग की गई है। ऐसा न होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।
फीडर कैडर की वरिष्ठता होगी मान्य
एस पनीर सेल्वम विरुद्ध तमिलनाडु शासन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सामान्य श्रेणी का अभ्यर्थी, जो फीडर कैडर में वरिष्ठ था, पदोन्नाति के बाद भी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी से वरिष्ठ माना जाएगा। साथ ही सभी श्रेणी के पदों पर अनुपात इस तरह व्यवस्थित करने के लिए कहा है ताकि सामान्य वर्ग के हितों पर गलत प्रभाव न पड़े।
बड़े पदों पर आरक्षित श्रेणी के अफसर
संगठन की ओर से बताया गया है कि पीएचई में प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता के सभी पदों पर आरक्षित वर्ग के अफसर पदस्थ हैं। बाकी पदों पर आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी है पर इससे ज्यादा इस वर्ग के अधिकारी पदस्थ हैं। मप्र लोक सेवा (पदोन्नाति) नियम 2002 की विसंगतियों के कारण सभी विभागों में पदोन्नाति से भरे जाने वाले पदों पर सामान्य श्रेणी का प्रतिनिधित्व लगभग खत्म हो गया है।
शासन के ही दो विभागों में अलग-अलग प्रक्रिया
अभ्यावेदन में कहा गया है कि जल संसाधन विभाग सहायक यंत्रियों (फीडर कैडर) की वरिष्ठता सूची रखता है। इसके आधार पर ही पदोन्नाति की जाती है। जबकि पीएचई में ऐसा नहीं होता है। शासन के ही दो विभागों में पदोन्नाति के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
सामान्य को कर दिया अनारक्षित
सवाक्स ने आरोप लगाया कि संविधान के प्रावधानों को दरकिनार कर भर्ती व पदोन्नाति नियमों में सामान्य की जगह अनारक्षित श्रेणी कर दी गई। जब कि केंद्र सरकार की ओर से जानी होने वाले विज्ञापनों में भी सामान्य श्रेणी ही लिखा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रदेश में हो लागू
पदोन्नाति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए। इस संबंध में ज्ञापन मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दिया गया है।
आरके त्रिवेदी, अध्यक्ष, सवाक्स