मुंबई। हाईकोर्ट ने आज मुंबई में 17 सितंबर को जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के मद्देनजर मांस की बिक्री पर लगे विवादास्पद प्रतिबंध पर रोक लगा दी और साथ ही सवाल किया कि केवल मटन और चिकन पर ही प्रतिबंध क्यों, मछली और अंडे पर क्यों नहीं?
अदालत ने प्रतिबंध पर सवाल लगाते हुए कहा, ‘‘यदि यह जैन समुदाय द्वारा अहिंसा का पालन किए जाने का सवाल है तो केवल मटन और चिकन को ही प्रतिबंध में शामिल क्यों किया गया है , मछली और अंडों को क्यों नहीं ?’’ इस मुद्दे ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है जिसमें लोगों की खानपान की आदतों में घुसपैठ को लेकर सवाल किए जा रहे हैं।
जैन समुदाय के ‘पर्यूषण’ पर्व के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली बांबे मटन डीलर्स द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह आदेश सुनाया। न्यायाधीश अनूप वी मोहता और अमजद सैयद की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम 17 सितंबर को मांस की बिक्री पर प्रतिबंध पर रोक लगा रहे हैं लेकिन हम उस दिन पशु वध पर प्रतिबंध एवं बूचड़खानों को बंद रखने के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।’’