पुराना मकान खरीदने के कई फायदे हैं। मसलन, पजेशन तक किराया और लोन की ईएमआई का दोहरा बोझ नहीं पड़ता, फौरन पजेशन से टैक्स बचाने में मदद मिलती है और मेंटेनेंस की लागत कम बैठती है लेकिन ऐसा सौदा आसान नहीं होता। पुरानी प्रॉपर्टी पर होम लोन मुश्किल से मिलता है और डील में ठगे जाने व धोखाधड़ी की आशंका रहती है। इस लिहाज से पूरी रिसर्च की जरूरत होती है।
प्रॉपर्टी के बढ़ते दाम देखते हुए आज की तारीख में आम आदमी के लिए 1 बीएचके फ्लैट खरीदना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे दौर में मकान खरीदने के दूसरे विकल्प तलाशे जा सकते हैं। कई बार लोग पुरानी प्रॉपर्टी खरीदने से हिचकते हैं। वैसे पुरानी प्रॉपर्टी खरीदने के अपने फायदे-नुकसान हैं। ऐसी प्रॉपर्टी में वैट और सर्विस टैक्स नहीं देना पड़ता, लेकिन दूसरी परेशानियां हो सकती हैं।
यदि आपके मन में दुविधा है कि पुरानी प्रॉपर्टी खरीदें या नहीं तो आंकलन इन मानदंडों पर करें:
लोकेशन
शहर से दूर नया फ्लैट या मकान लेने के बजाय दफ्तर के पास प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। स्थापित इलाके की रीसेल प्रॉपर्टी में निवेश करना शहर से दूर विकसित हो रही प्रॉपर्टी से बेहतर है। मकान खरीदने का फैसला परिवहन सुविधा, स्कूल, कॉलेज, मॉल और गार्डन से नजदीकी जैसे पैमानों के आधार पर होना चाहिए।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन
एक चेकलिस्ट बनाएं। इसमें सेल डीड, इनकंब्रेंस सर्टिफिकेट (प्रॉपर्टी की फ्री ऑनरशिप का सर्टिफिकेट), एनओसी, पजेशन सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी टैक्स की हालिया रसीद और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को शामिल करें। रीसेल की गई प्रॉपर्टी की टाइटल जांच लें। टाइटल से आपको प्रॉपर्टी कितनी पुरानी है और प्रॉपर्टी के कितने मालिक रहे हैं, सब पता चल जाएगा।
वैल्यूएशन
थोड़ी मार्केट रिसर्च कर लें और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत का पता लगाएं। मौजूदा कीमतों के ट्रेंड देखें और फिर प्रॉपर्टी की कीमत निकालें। जरूरत पड़े तो किसी प्रोफेशनल एक्सपर्ट की सलाह भी लें। प्रॉपर्टी में निवेश से पिछले कुछ वर्षों के दौरान में मिले रिटर्न पर गौर करें और अनुमान लगाएं कि आगे आपको कितना रिटर्न मिल सकता है।
प्रॉपर्टी की जांच
बिल्डर या मालिक प्रॉपर्टी के बारे में गलत वादे भी कर सकते हैं। इस लिहाज से बेहतर होगा प्रॉपर्टी आप खुद देखें। प्रॉपर्टी की फाउंडेशन देखें और पता लगाएं कि वह कितनी पुरानी है। यदि प्रॉपर्टी में आधारभूत दिक्कतें हैं तो आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसलिए अनुमान लगाएं कि कुल मिलाकर कितना खर्च आएगा और फिर फैसला करें।
सौदेबाजी
कई बार प्रॉपर्टी का मालिक किसी दबाव में जल्द से जल्द प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश करता है। इसलिए सौदेबाजी करें। प्रॉपर्टी की कमियां निकाल कर अतिरिक्त डिस्काउंट के लिए दबाव बनाएं। यदि ज्यादा रिनोवेशन की जरूरत है तो मालिक को कारण बता कर अच्छी डील लेने की कोशिश करें। मुंबई में इस तरह के मकान नए प्रोजेक्ट के मुकाबले 5 फीसदी कम कीमत पर मिलते हैं। बेंगलुरू, गुड़गांव और चेन्नई जैसे शहरों में इनकी कीमत 10-18 फीसदी तक कम होती है। छोटे शहरों में नए प्रोजेक्ट के मुकाबले पुराने मकानों की कीमतों में और ज्यादा अंतर रहता है। कई शहरों में यह अंतर न के बराबर भी होता है।
एक्सपर्ट की मदद
एक वकील की मदद लें। वकील की सहायता से सेल और परचेज एग्रीमेंट बनवाएं। यदि आपको लगता है कि आप ठीक से डील नहीं कर पाएंगे तो प्रॉपर्टी ब्रोकर की मदद ले सकते हैं। इस तरह के लोग आपको प्रॉपर्टी से कहां ज्यादा रिटर्न मिलेगा, इसकी ठीक सलाह दे सकते हैं।
कम दाम
शहर के बीच में जगह न मिलने के कारण कई नए प्रोजेक्ट शहर से थोड़ी दूरी पर बनते हैं। इनमें कई तरह की सुविधा होने के कारण इनकी कीमत ज्यादा होती है। जहां ज्यादा प्रतिस्पर्धा होती है, वहां पुरानी प्रॉपर्टी के मालिक ज्यादा डिस्काउंट दे सकते हैं। पेमेंट देने में सुविधा के कारण भी कई लोग पुरानी प्रॉपर्टी खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
कम मेंटेनेंस
कम सुविधाओं की वजह से नए प्रोजेक्ट के मुकाबले पुरानी प्रॉपर्टी का मेंटेनेंस कम होता है। सभी प्रोजेक्ट कॉमन सुविधाओं के लिए फीस नहीं लेते। लेकिन, पुरानी बिल्िडग में रिपेयर और वॉटर प्रूफिंग के खर्चे देने पड़ सकते हैं।
प्रॉपर्टी पर लोन तो नहीं!
किसी प्रॉपर्टी के लिए लोन लेने से पहले चेक कर लें कि उस पर किसी तरह का कर्ज तो नहीं लिया गया है। बैंक तभी लोन मंजूर करेगा, जब यह पैसा चूकता हो जाएगा। जब पेपर लोन से मुक्त हो जाएंगे तो आपको लोन आसानी से मिल जाएगा। आजकल कई बैंक 10 साल से पुरानी प्रॉपर्टी पर लोन मंजूर नहीं कर रहे हैं। पुरानी प्रॉपर्टी पर होम लोन लेना चुनौती भरा काम होता है।
टोकन मनी कम दें
ब्रोकर या एजेंट आपको धोखा न दें इसके लिए कम से कम टोकन दें। रकम का 3 फीसदी ही दें या वकील की मदद से पेमेंट की प्रक्रिया पूरी करें। यदि आप खुद पेमेंट कर रहे हैं तो चेक या बैंक ड्राफ्ट से करें। अपने पेमेंट की सबूत के तौर पर रसीद लेना न भूलें।
पुरानी प्रॉपर्टी के फायदे
यदि आप पुरानी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो आप अपने किराए और अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की ईएमआई के बोझ से बच जाते हैं। फौरन पजेशन से टैक्स बचाने में भी मदद मिलती है। इनकम टैक्स के 80 सी सेक्शन के तहत आपको प्रिंसिपल पर 1.5 लाख और ब्याज पर 2 लाख तक की छूट मिलती है।