भोपाल। छत्तीसगढ़ में हुए लम्बे संघर्ष की तरह मप्र में भी संघर्ष शुरू करने वाले आजाद अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल अब अचानक आंदोलन को स्थगित कर देने के कारण अध्यापकों के टारगेट पर आ गए हैं। सोशल मीडिया पर भरत पटेल और आंदोलन के लीडर्स से तमाम तरह के तीखे सवाल किए जा रहे हैं। अध्यापकों का कहना है कि ऐसे आंदोलन का क्या लाभ जिसमें सरकारी कार्रवाई के शिकार भी हो गए और नतीजा भी कुछ नहीं निकला। इधर भरत पटेल ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वो मुरलीधर पाटीदार के आदमी हैं।
अध्यापक इस आंदोलन की रणनीति पर ही सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि लीडर्स ने अध्यापकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। अध्यापक हर हाल में नतीजों तक जाना चाहते थे। बीच मझधार में रुकने के लिए लोग उनके साथ नहीं आए थे।
आजाद अध्यापक संघ की ओर से केवल महासचिव जावेद खान ने उबलते सवालों का जवाब देने का प्रयास किया। उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि आंदोलन को लेकर कोई संदेह न रखें। हाईकोर्ट के आदेश का पालन जरूरी था। ऐसा नहीं करते, तो अध्यापकों के लिए यह हालात ज्यादा जटिल हो जाते। उन्होंने आंदोलन को बहुत सफल बताया और लक्ष्य पाने तक नहीं रुकने का भरोसा भी दिलाया है। खान ने शिकायती लहजे में कहा कि हम अपनी मर्यादा के विपरीत आचरण करने लगे हैं। जिससे आंदोलन की पवित्रता दागदार होती है। जब वार्ता के लिए अधिकारी और मंत्रियों के सामने बैठते हैं, तो बहुत कुछ सुनने को मिलता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर संयमित व्यवहार रखने की सलाह दी है।
- इसके बाद भी अध्यापकों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ इस तरह के सवाल तैर रहे हैं सोशल मीडिया में
- प्रदेश का हर अध्यापक जानता था कि यह समय आंदोलन का नहीं है, तो क्यों किया?
- जब 13 सितंबर को रैली थी, तो तालाबंदी और आमरण अनशन का ऐलान क्यों किया?
- भूख हड़ताल कर नहीं सकते थे तो फिर भूख हड़ताल पर बैठे ही क्यों ?
- जब आंदोलन में लोग जुड़ गए, तब अपने ही साथी से कोर्ट में याचिका क्यों दायर कराई?
- आंदोलन की रूपरेखा में ब्लाक, जिला के पदाधिकारियों की सहमति क्यों नहीं ली?
- जब सरकार से स्पष्ट संकेत मिल गया था, तो रणनीति पर जिला स्तर से आगे की राय क्यों नहीं ली?
- जब आंदोलन खुद के बस में नहीं रहा, तब भी सभी संगठनों को साथ क्यों नहीं लिया?
- जिन साथियों का अहित हुआ है। उसके लिए कौन जिम्मेदार है?
- यह आंदोलन अध्यापक हितों के लिए था या खुद को स्थापित करने के लिए ?
- बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में हमने बगैर शर्त रिहाई ली थी, इस बार क्यों झुक गए ?
- अदूरदर्शिता पूर्ण नेतृत्व के कारण अध्यापकों की दुर्दशा हो रही है। यह काम 24 सितंबर को किया जा सकता था। कम से कम अध्यापक निलंबन, बर्खास्तगी के नोटिस और कानूनी कार्रवाई से बच जाते। जेल में बांड नहीं भरना पड़ता।
ये सब पाटीदार के लोग हैं
विधायक मुरलीधर पाटीदार के लोग माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं के इशारे पर पोस्ट की जा रही हैं। आंदोलन हम नहीं कर रहे। लोग खुद आंदोलित हैं। वे आंदोलन की रणनीति से किसी भी तरह से दुखी नहीं हैं। अब 5 अक्टूबर को कोर्ट में जबाव पेश करेंगे और फिर अगली रणनीति बनेगी। तब तक लोग कालीपट्टी बांधकर काम करें।
भरत पटेल
अध्यक्ष, आजाद अध्यापक संघ