भोपाल। स्वाइन फ्लू या डेंगू जैसी महामारियों से बचने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केवल अपील ही जारी करते हैं। नागरिकों को इनसे बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। यह कोई आरोप नहीं बल्कि हाईकोर्ट में प्रमाणित हो रहा एक तथ्य है। जबलपुर स्थित मप्र हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार की अनुमति के बाद भी इंदौर में स्वाइन फ्लू के लिए लैब नहीं खोली गई।
सोमवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस सीवी सिरपुरकर की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता इंदौर निवासी अजय मिश्रा का पक्ष अधिवक्ता अभिषेक अरजरिया ने रखा। जबकि अन्य जनहित याचिकाकर्ता होशंगाबाद निवासी भगवती उर्फ भावना विष्ट की ओर से अधिवक्ता प्रमोद सिंह तोमर खड़े हुए। अधिवक्ता सतेन्द्र पाण्डेय भी बहस में शामिल हुए। दलील दी गई कि राज्य शासन की कार्यप्रणाली स्वाइन फ्लू व डेंगू जैसी महामारियों के खतरे के बावजूद बेहद लापरवाही भरी है। लिहाजा, हाईकोर्ट को सख्ती बरतनी चाहिए।
केन्द्र तैयार, राज्य लापरवाह
हाईकोर्ट को बताया कि राज्य शासन ने केन्द्र को इंदौर में स्वाइन फ्लू लैब की स्थापना के सिलसिले में प्रस्ताव भेजा था, जिसे केन्द्र ने स्वीकार कर लिया। साथ ही अनुदान पर भी मुहर लगा दी गई लेकिन समस्या यह है कि केन्द्र ने राज्य से जो एनओसी तलब की थीं, उनकी दिशा में समुचित तत्परता नहीं बरती गई, इस वजह से केन्द्र चाहते हुए भी अनुदान राशि जारी नहीं कर सका। इस स्थिति पर गौर करने के बाद पूर्व में हाईकोर्ट ने राज्य को अपना जवाब पेश करने कहा था। इसके बावजूद सोमवार को जवाब नदारद है। समयबद्ध कार्यक्रम प्रस्तुत करने की दिशा में भी गंभीरता नहीं बरती गई। हाईकोर्ट ने इस स्थिति पर गौर करने के साथ ही संबंधित विभाग प्रमुखों को तलब कर लिया।