इंदौर। अब स्कूलों में बच्चों को गुड टच और बैड टच में अंतर बताया जाएगा। ऐसा बढ़ते बाल यौन शोषण को रोकने के लिए किया जा रहा है। इसके लिए एक एनजीओ मॉड्यूल तैयार कर रहा है।
इस साल चाइल्ड लाइन में बच्चों के साथ यौन शोषण के 12 केस पहुंचे, जबकि इससे दोगुने मामले अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज हैं। इन बच्चों की उम्र 4 से 14 साल तक है। बच्चों को सही-गलत छूने का एहसास बताने के लिए आस संस्था गुड टच, बैड टच मॉड्यूल तैयार कर रहा है। यह मॉड्यूल प्रशासन के माध्यम से सभी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में पहुंचाया जाएगा। पहले शिक्षकों को मॉड्यूल का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आस संस्था के निदेशक वसीम इकबाल ने बताया कि मॉड्यूल में तस्वीरों के माध्यम से बच्चों को यौन शोषण की जानकारी दी जाएगी, जो बच्चे पढ़ नहीं पाते, वे तस्वीर में देखकर शोषण को समझ सकेंगे, वहीं पढ़ने वाले बच्चे तस्वीर के साथ-साथ उसका विवरण भी समझ सकेंगे।
डॉक्टर के अलावा कोई नहीं छू सकता चार अंग
वसीम के मुताबिक, कानून में यह स्पष्ट है कि होठ, सीना, पैरों के बीच और पीछे छूना प्रतिबंधित है। विशेष परिस्थितियों में माता-पिता की मौजूदगी में डॉक्टर के अलावा इन अंगों को नहीं छुआ जा सकता, अगर कोई अंगों को जबरन छूने की कोशिश करता है तो वह शोषण की श्रेणी में आता है। बच्चों को यही समझाया जाएगा कि बस, स्कूल, रिश्तेदारों के घर, बाजार या भीड़ में कोई इस तरह की हरकत करे तो उसका तुरंत विरोध करें।