नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की संपत्तियां बेचने के लिए रिसीवर नियुक्त कर दिया है। साथ ही नोटिस जारी कर इस विषय में सहारा से उसका पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अब एक रिसीवर को नियुक्त करके ही सहारा की संपत्तियां बेची जा सकतीं हैं और निवेशकों का पैसा लौटाया जा सकता है। सहारा अपने निवेशकों का पैसा लौटाने में अब तक नाकाम रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 31 अगस्त, 2012 को आदेशित किया था। सहारा की ओर से आदेश का पालन नहीं किया गया और 4 मार्च 2014 को सुब्रतो राय को जेल भेज दिया गया था। इसके बावजूद निवेशकों के 36000 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक नहीं किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा समूह से पूछा कि क्यों नहीं निवेशकों को देय करीब 36 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था के लिये उसकी संपत्तियों का निस्तारण करने हेतु रिसीवर की नियुक्ति कर दी जाये। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाजार नियामक सेबी की अर्जी पर रिसीवर की नियुक्ति के लिये सहारा समूह को नोटिस जारी किया। सेबी ने यह अर्जी इसलिए लगायी थी क्योंकि राय की दो कंपनियां निवेशकों का धन लौटाने के बारे में शीर्ष अदालत के 31 अगस्त, 2012 के आदेश पर अमल करने की स्थिति में नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे की राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा, 'हमारे पास और कोई विकल्प नहीं बचा है।'पीठ ने कहा था कि शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जिन्हें सहारा समूह के खिलाफ सेबी की कार्रवाई की निगरानी के लिये नियुक्त किया गया था, वह 'रिसीवर' के अध्यक्ष होंगे।