राकेश दुबे@प्रतिदिन। आज हिंदी दिवस है। भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन हो गया। सम्मेलन बहुत महंगा था। काफी लोगों की नाराज़गी के बाद कुछ लोगों को अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिला। यह इसलिए नहीं की सम्मेलन सफल रहा। इसलिए की हिंदी के बारे में वे तथ्य मालूम हुए जो अभी गिनती में नही है। जैसे आज विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं और इससे कहीं ज्यादा समझते हैं। आज दुनिया के 40 से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई हो रही है।
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में हिंदी की धूम मची है। यहां 30 से अधिक विश्वविद्यालयों के भाषायी पाठ्यक्रम में हिंदी को महत्वपूर्ण दर्जा हासिल है। यही नहीं, पिछले दिनों ‘लैंग्वेज यूज इन यूनाइटेड स्टेट्स-2011’ की ताज़ा रिपोर्ट से यह भी उद्घाटित हुआ कि अमेरिका में बोली जाने वाली टॉप दस भाषाओं में हिंदी भी है और इसे बोलने वालों की संख्या 6.5 लाख से ऊपर है। अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे की रिपोर्ट बताती है अमेरिका में हिंदी 105 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों में भी हिंदी का तेजी से विकास हो रहा है। इंग्लैंड के लंदन, कैंब्रिज और यार्क विश्वविद्यालयों में हिंदी को चाहने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। पहले से कहीं ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है। जर्मनी के हीडलबर्ग, लोअर सेक्सोनी के लाइपजिंग, बर्लिन के हम्बोलडिट और बॉन विश्वविद्यालय में भी हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। और भारत में कई विश्व विद्ध्यल्यों में स्नातकोत्तर हिंदी पाठ्यक्रम की सीटें कहली पडी है।
एक दशक से रूस के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी साहित्य पर शोध हो रहे हैं|यहां हिंदी का बोलबाला बढ़ा है अनेक रूसी विद्वानों ने हिंदी साहित्य का अनुवाद किया है |एशियाई देश जापान में हिंदी भाषा का बहुत अधिक सम्मान है| जापान की दो नेशनल यूनिवर्सिटी ओसाका और टोकियो में स्नातक और परस्नातक स्तर पर हिंदी की पढ़ाई की व्यवस्था है|
और भारत जहाँ विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ हिंदी के विद्वान प्रवेश पत्र के लिये भटकते रहे, निमन्त्रण तो बेहद दूर था |हिंदी की शिक्षा का स्तर भारत में लगातार गिर रहा है | इस आयोजन से हिंदी के लिए नहीं बल्कि हिंदी के बहाने हित साधन हुआ |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com