बेगमगंज। प्रदेश में अध्यापकों के आन्दोलन पर सरकार द्वारा पर की गई दमन पूर्ण अलोकतांत्रिक असंवैधानिक कार्यवाही के विरोध एवं अध्यापकों की न्यायोचित मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री के नाम किसान संघर्ष समिति, इंसाफ, निर्माण मजदूर पंचायत, संगम और समाजवादी समागम के कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन सौंपा।
मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है की अध्यापकों के नेताओं को डीपीआई कार्यालय बुलाकर गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाना मध्यप्रदेश के इतिहास में अत्यंत शर्मनाक निंदनीय ही नहीं अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। अध्यापकों को हाईकोर्ट का डर दिखाया। कार्रवाई का डंडा चलवाया। महिला अध्यापकों के बाल पकड़कर उन्हें बसों में ठूंसा गया। आधीरात को बिना महिला पुलिस के महिला अध्यापकों को हिरासत में लिया गया। पूरे प्रदेश की पुलिस को अध्यापकों के पीछे दौड़ा दिया था। किसी को घर से ही उठा लिया गया तो किसी को रास्ते से। रेलों में, बसों में पुलिस अध्यापकों को ऐसे तलाश रही थी मानो आतंकवादी हों। अध्यापकों में मुसलमान भी थे जो अपनी ईद छोड़कर आए थे। उन्हें जेल में ठूंस दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया की नागरिक समाज के लोग आपसे जानना चाहते है की क्या लक्ष्मीकांत शर्मा सहित 1 करोड़ 16 लाख प्रतियोगियों का व्यापमं करने वालों को इसी तरह घसीटा गया था। क्या हाल ही में अमरीका में डिनर खिलाते वक़्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भोपाल में गैसकांड करने वाली कंपनी के अबके मालिक को इसी तरह बाल पकड़ कर दावत से उठा कर बाहर फिंकवाया था। अगर नहीं तो क्या ये अध्यापक उनसे भी बड़ा अपराध कर रहे थे!!
ज्ञापन में मांग की गई है की आन्दोलन के दौरान अध्यापकों पर लगाये गये सभी मुकदमें बिना शर्त तत्काल वापस लिए जावें। आन्दोलन के दौरान भोपाल में अध्यापकों की पिटाई करने वाले पुलिस कर्मियों को तत्काल निलंबित किया जावे। अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियनए 6वें वेतनमान, स्थानान्तरण नीति लागू करने सहित सभी मांगों को अबिलम्ब पूरा किया जावे।
ज्ञापन देने बाले प्रतिनिधिमंडल में किसान संघर्ष समिति के निर्भय सिंह, समाजवादी समागम के पार्षद मुन्ना अली दानाए इंसाफ के महेंद्र कुमार आठया, निर्माण मजदूर पंचायत संगम के हल्कुराम साकिर अली आदि कार्यकर्ता शामिल थे।