भोपाल। डीमेट मामले में मेडिकल एजुकेशन माफिया जिस हद तक जा रहा है उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। मामला हाईकोर्ट में होने के बावजूद ऐसी हरकतें की जा रहीं हैं जो साफ बतातीं हैं कि या तो वो मनमानी करेगा या फिर परीक्षा ही नहीं होने देगा। सूत्र बता रहे हैं कि बीते रोज हुए डीमेट परीक्षा में सर्वर फेल नहीं हुआ था बल्कि उसे कुछ इस तरह से सेट किया गया था कि वो फेल हो जाए। टारगेट था परीक्षा को रद्द कराना।
तकनीकी विशेषज्ञों का आरोप है कि जानबूझकर परीक्षा में गड़बड़ी की गई। सवाल उठाया कि ऑनलाइन परीक्षा के लिए सेंट्रल सर्वर के बजाए अलग-अलग सर्वर उपयोग क्यों किए गए? इसके अलावा सोमवार को परीक्षा की नई तारीख भी घोषित नहीं की गई जबकि 5 दिनों में फिर से परीक्षा कराना है।
व्यापमं के व्हिसल ब्लोअर और सायबर विशेषज्ञ प्रशांत पांडे ने कहा-"सेंट्रल सर्वर के बजाए जब अलग-अलग सर्वर का उपयोग किया जाता है तो उसमें टाइम जोन का विशेष ध्यान रखना होता है। यदि समय एक सेकंड भी आगे या पीछे हुआ तो ऑनलाइन सिंकिंग नहीं हो पाती है और सर्वर क्रेश हो जाता है। लगता है कि जानबूझकर यह पुरानी तकनीक उपयोग में लाई गई।'
एसोसिएशन ऑफ डेंटल एंड मेडिकल कॉलेज (एपीडीएमसी) द्वारा रविवार को मध्यप्रदेश सहित अाठ राज्यों में कुल 87 केंद्रों पर डीमेट आयोजित की गई। इसके लिए एपीडीएमसी ने प्रत्येक 100 परीक्षार्थियों पर एक सर्वर की व्यवस्था की थी। इस लिहाज से 18500 परीक्षार्थियों के लिए करीब 185 सर्वर लगाए गए थे। इन सर्वरों के बीच तालमेल नहीं बन पाया और ऐन वक्त पर सर्वर ठप होने के कारण परीक्षा ही रद्द करनी पड़ गई। यदि सेंट्रल सर्वर होता तो यह समस्या नहीं आती, लेकिन जान बूझकर ऐसा नहीं किय गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग सर्वर से डाटा में हेरफेर करना आसान होता है और गड़बड़ी को पकड़ना मुश्किल। सेंट्रल सर्वर में गड़बड़ी आसानी से पकड़ा जाती।
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ऑनलाइन परीक्षा कराने का अनुभव देश में केवल दो कंपनियों को है। प्रो-मेट्रिक्स और टीसीएस। लेकिन एपीडीएमसी ने किसी अन्य कंपनी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। गड़बड़ी के लिए ही एजेंसी का नाम छुपाया गया।
डॉ. आनंद राय, व्हिसल ब्लोअर