भोपाल। तमाम तामझाम और तालियों के साथ शिवराज सरकार ने दिल्ली की एक कंपनी को रीवा के एतिहासिक गोविंदगढ़ किले को हेरिटेज होटल बनाने के लिए लीज पर दिया था, लेकिन ये कंपनी तो फर्जी निकली। सरकार ने लीज देने से पहले कंपनी के रजिस्टर्ड आॅफिस का वेरीफिकेशन तक नहीं कराया। पूरे 5 साल तक सरकार इस पचड़े में उलझी रही और अंतत: लीज निरस्त कर दी। याने जहां से चले थे, वहीं वापस आ खड़े हुए।
- कंपनी का नाम मेगपाई रिसोर्ट प्राइवेट लिमिटेड है।
- पर्यटन विभाग ने 5 अप्रैल 2010 को कंपनी को पट्टा दिया था।
- लीज रेंट सिर्फ 2260 रुपए प्रतिमाह था।
- इसमें किले का बेसमेंट 10 हजार वर्गफुट, ग्राउंड फ्लोर 40 हजार वर्गफुट, पहली मंजिल 20 हजार वर्गफुट और दूसरी मंजिल 10 हजार वर्गफुट में बनी है।
- इस किले को 30 साल के लिए लीज पर दिया गया था।
- पर्यटन विभाग के साथ हुए अनुबंध के अनुसार कंपनी को 6 करोड़ की लागत से 3 वर्ष में हेरिटेज होटल बनाना था।
- इसके अलावा किले का कब्जा मिलने के बाद उसे एक वर्ष में 2 करोड़ 15 लाख रुपए की लागत से सबसे पहले किले में 5 आलीशान कमरे, फर्नीचर, स्केपिंग, किचन का उन्न्यन, स्वीमिंग पुल बनाना था।
- यहां पर्यटन विभाग के अधिकारी गदगद हो रहे थे वहां कंपनी गायब हो गई।
- कंपनी ने अनुबंध करने के बाद राज्य सरकार से संपर्क तक नहीं किया।
- सरकार ने भी लीज देने से पहले कंपनी का फिजीकल वेरीफिकेशन नहीं कराया।