डीएड काउंसलिंग की तारीख आगे बढ़ी

Bhopal Samachar
इंदौर। डीएड कोर्स के लिए काउंसलिंग की तारीख आगे बढ़ने के बाद खाली सीटें देख कॉलेज संचालक परेशान हैं। संचालकों ने शासन के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई करने की धमकी दे दी है। कॉलेजों के मुताबिक, 2 सितंबर को हाई कोर्ट के आदेश में शासन को सीएलसी की अनुमति दिए जाने का आदेश दिया गया था। शासन सीएलसी न कराकर तारीख आगे बढ़ाकर प्रवेश की अंतिम मियाद निकालने में लगा है।

कॉलेज संचालक शासन की प्रवेश प्रक्रिया में खाली रह गई सीटों की चिंता और प्रक्रिया के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला दिया था कि चौथे राउंड की काउंसलिंग शासन कराएगा। उसके बाद सीटें खाली रहीं तो उन पर कॉलेज लेवल काउंसलिंग के जरिए प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। 2 सितंबर को आए इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में प्रवेश की अंतिम मियाद भी 30 अगस्त से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई थी। अब तक कॉलेज वाले इंतजार कर रहे थे कि शासन चौथे दौर की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी कर कॉलेज लेवल की काउंसलिंग कराने की घोषणा कर देगा।

घोषणा नहीं तारीख बढ़ाई
हाई कोर्ट के आदेश के बाद शासन फिलहाल लगातार चौथे दौर की काउंसलिंग की प्रक्रिया को लंबा खींच रहा है। अब काउंसलिंग के लिए 28 सितंबर आखिरी तारीख तय कर दी गई है। कॉलेज इसी से चिंता में पड़ गए हैं। कॉलेजों का कहना है कि काउंसलिंग में अलॉटमेंट के बाद उनमें से 50 से 60 प्रतिशत छात्र की प्रवेश कंफर्म करते हैं। 28 तारीख के बाद प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने और खाली सीटों का आंकड़ा सामने आने में सितंबर माह निकल जाएगा। इस तरह प्रवेश की तय मियाद निकाल जाएगी और कॉलेजों में खाली सीटें पूरे साल खाली ही पड़ी रहेंगी। कोर्ट के आदेश के पालन में शासन को अपनी प्रक्रिया समय पर खत्म कर आखिरी तारीख बीतने से पहले कॉलेज लेवल काउंसलिंग का मौका दे देना था, लेकिन शासन ने ऐसा नहीं किया।

कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता रहे अभय पांडे के मुताबिक अब तक की प्रक्रिया से साफ है कि अगले तीन दिन में मियाद खत्म हो जाएगी। शहर के कॉलेजों में कम से कम 20 प्रतिशत सीटें इसके बाद भी खाली रहेंगी।

अभी इंतजार
कोर्ट के आदेश में स्पष्ट है कि चौथे दौर की काउंसलिंग के बाद रजिस्टर्ड छात्रों को कॉलेजों में सीधे प्रवेश का मौका मिलना था। अंतिम तिथि का इंतजार है। उसके बाद संचालक अवमानना की कार्रवाई के लिए कोर्ट जा सकते हैं।
आकाश शर्मा, कॉलेजों के वकील

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