शिक्षा: कहाँ से कहाँ आ गये हम

राकेश दुबे@प्रतिदिन। वर्ल्ड यूनिर्वसिटी रैंकिंग 2015 में बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस को 147वां तथा आईआईटी दिल्ली को 179 वां स्थान मिला है |प्रथम 400 में हमारे केवल पांच संस्थान हैं और पूरी सूची में कुल 14. प्रथम 200 में स्थान पाने वाले संस्थान 34 देशों में फैले हैं, लेकिन वर्चस्व विकसित देशों का है। इनमें 49 संस्थान अमेरिका, 30 ब्रिटेन, 12 नीदरलैंड, 11 जर्मनी,  आठ-आठ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व जापान, सात चीन और पांच-पांच फ्रांस, स्वीडन व हांगकांग में हैं। मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को प्रथम, हार्वर्ड को दूसरा तथा कैंब्रिज व स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय को तीसरा स्थान दिया गया है। 

कहने को भारत के दो संस्थान शीर्ष दो सौ की सूची में आ गए, फिर भी हमारे देश में उच्च शिक्षा का स्तर बहुत नीचा है। पिछले एक दशक में बड़ी संख्या में निजी कालेज और विश्वविद्यालय खुले हैं, फिर भी शैक्षिक स्तर उठ नहीं पाया। जिन आईआईटी और आईआईएम पर हम इतराते हैं वे भी विश्व सूची में काफी नीचे हैं। एक अध्ययन के अनुसार देश के 75 फीसद टेक्निकल ग्रेजुएट और 90 प्रतिशत जनरल ग्रेजुएट नौकरी पाने लायक नहीं हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश में व्यापम का ठप्पा लगे बच्चे भी हैं। 

अच्छे शिक्षण संस्थानों की कमी के कारण हर वर्ष लाखों प्रतिभाशाली छात्र पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। इससे देश को करोड़ों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के नामी इंजीनियरिंग, मेडिकल व मैनेजमेंट संस्थान हमारे छात्रों से भरे पड़े हैं। कई बार उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद ये विद्यार्थी वहीं बस जाते हैं, इससे देश को अपूरणीय क्षति होती है। अधिकांश घरेलू संस्थानों में सुविधाओं की कमी है जिस कारण अनुसंधान के मोर्चे पर हम खासे फिसड्डी हैं। 

ब्रिटेन की दो सौ बरस की गुलामी ने देश में अंग्रेजी शिक्षा की आधारशिला रखी थी। अंग्रेजी लिखने-बोलने के बूते ही हमारी युवा पीढ़ी को दुनिया के बाजार में रोजगार तो मिल जाता है,  लेकिन लीडर बनने या कालजयी शोध करने की प्रतिभा उनमें नहीं होती। या यूं कहा जाए कि ऐसी प्रतिभा को निखारने लायक उच्च शिक्षा संस्थान हमारे यहां नहीं हैं। एक और आंकड़े से अपनी खराब हालत बेहतर समझी जा सकती है। इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों से अब तक शोध में  नोबेल पुरस्कार प्राप्त 65 हस्तियां निकल चुकी हैं, जबकि  हमारे यहां अभी खाता खुलने का इंतजार है। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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