कार नहीं कुछ और चाहिए

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। आज की नौजवान पीढ़ी कहीं आने-जाने के लिए बसों, मेट्रो या ऑटो-टैक्सी पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि वह निजी परिवहन की हिमायती है। यह भी कहा जाता है कि देश में मौसम की विविधता के मद्देनजर भी कारों की जरूरत को समझा जाना चाहिए। कभी तेज धूप, गर्मी, धूल, कभी बरसात और कड़ाके की ठंड। ऐसे में एक वातानुकूलित वाहन बहुत जरूरी लगता है।

इसके अलावा बहुत-से व्यवसायों और नौकरियों में संपर्क और आवागमन का सिलसिला इतना ज्यादा बढ़ा है कि उसके लिए सार्वजनिक परिवहन पर आश्रित होकर नहीं रहा जा सकता। कभी मारुति ने हमारे समाज के इस सपने के साथ कदमताल की थी, पर अब इस सपने का दायरा और बढ़ चुका है, जिसने कारों की भरमार और जाम की समस्या पैदा की है।

इसके बावजूद कारों को समस्या मानने के विरोधियों का एक अलग मत भी है। वे कहते हैं कि समस्या कारें नहीं, बल्कि सड़कें और परिवहन के पर्याप्त प्रबंध का न होना हैं। हमारे देश में ज्यादातर सड़कें कारों के हिसाब से डिजाइन नहीं की गर्इं। पार्किंग के समुचित प्रबंध नहीं किए गए। कानून में नई कॉलोनियों-मकानों के लिए यह जरूरी नहीं किया गया कि उनमें कारों की पार्किंग के लिए अनिवार्य रूप से जगह हो। राजधानी  दिल्ली में ही सैकड़ों अवैध कॉलोनियां ऐसी हैं जहां कारें बाहर गली में खड़ी की जाती हैं और वहां ऐसा करने पर कोई रोक-टोक नहीं हैं। इसी सबके चलते कारें खुद में एक समस्या बन गई हैं।

हालांकि कारों से एक समस्या पर्यावरण प्रदूषण की भी है। पर्यावरणवादी यह बुनियादी सवाल उठाते हैं कि आखिर देश में कारों की जरूरत ही क्यों होनी चाहिए, जबकि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर करके परिवहन संबंधी जरूरतों का आसानी से हल निकाला जा सकता है। उन्हें यह बेमानी और सिर्फ कार कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला लगता है कि सरकार हर कीमत पर प्राइवेट मोटराइजेशन को बढ़ावा दे रही है। बसों पर टैक्स कारों से ज्यादा है और कारों की संख्या नियंत्रित करने की तो कहीं कोई बात ही नहीं है। निजी कारों को बढ़ावा देने का काम सार्वजनिक परिवहन की कीमत पर किया जा रहा है। हमारे देश में आप जितनी चाहें उतनी कारें खरीद सकते हैं, चला सकते हैं, लेकिन इसके विकल्प में जो सार्वजनिक परिवहन की सुविधा लोगों के पास होनी चाहिए, वह तकरीबन नदारद है। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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