राकेश दुबे@प्रतिदिन। और 25 सितंबर 2015 को लाल कृष्ण आडवाणी की पहली रथ यात्रा को शुरू हुए पूरे पच्चीस साल बीत गए। रथ यात्रा का सारथी आज देश का प्रधानमंत्री है, और वो संयुक्त राष्ट्र संघ में ना केवल भाषण दे रहा है, बल्कि यूएन के चीफ बान की मून से एक लंबी मुलाकात कर चुका है, दूसरी तरफ उस रथ यात्रा का नायक इस इंतजार में घर में बैठा था कि शायद उसकी पार्टी ही इस बड़े और खास दिन पर कोई आयोजन कर दे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पूरी पार्टी देश भर में दीन दयाल उपाध्याय की 99वीं जयंती मनाने में मशगूल रही। आडवाणी के सम्मान में ना सही उस घटना की याद में तो कोई आयोजन नहीं हुआ जिसने भाजपा ही नहीं देश की राजनीति की भी दिशा और दशा बदल दी है।
आडवाणी की सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की यात्रा के कई ऐतिहासिक मायने हैं, इतिहास को बदला नहीं जा सकता। सबसे बड़ा तो यही तथ्य है कि मोदी का राष्ट्रीय पटल पर अवतरण इसी रथ यात्रा के जरिए हुआ। नरेंद्र मोदी, एक शख्सियत एक धरोहर के पेज नं. 131 पर मोदी ने स्वीकार किया है कि, ‘इस अनुभव से मुझे मेरी प्रबंधन क्षमता को विकसित करने का अवसर मिला’।
13 सितंबर 1990 को मोदी ने गुजरात इकाई के महासचिव (प्रबंधन) के रूप में रथ यात्रा के औपचारिक कार्यक्रमों और यात्रा के मार्ग के बारे में मीडिया को बताया। इस तरह मोदी पहली बार राजनीति के राष्ट्रीय मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका में सामने आए थे। इस तरह पहली बार मोदी मीडिया रंगमंच के लिए प्रमुख पात्र बन गए थे, इतने बड़े कार्यक्रम की सबसे ज्यादा सूचनाएं अगर किसी के पास थीं तो वो थे नरेंद्र मोदी। कुछ जानकारियां तो आडवाणी को भी बाद में मिलती थीं।
यही वो वक्त था जब मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे, चूंकि नेशनल मीडिया से बातें करने के लिए वो अधिकृत थे, तो वीपी सिंह से लेकर यूपी सरकार तक उन्होंने सबको चुनौती दे डाली कि कोई रोक कर दिखाए, पहली बार मोदी का स्वरूप राष्ट्रीय होने लगा था, रथयात्रा ने उनके लिए दिल्ली का रास्ता खोलने का काम कर दिया था। इधर इस मौके पर मीडिया को दिए गए तमाम वक्तव्यों के दौरान उन्होंने राम मंदिर को लेकर भी इसे सांस्कृतिक चेतना और धरोहर बताया और उसके लिए संघर्ष की बात कही, जो भविष्य की उनकी योजनाओं को दर्शाता था। हालांकि मीडिया से मुलाकातों के दौरान मोदी से रथयात्राओं के संभावित दंगों के बारे में भी सवाल पूछे गए, मोदी ने उसे ये कहकर टाल दिया कि इस तरह की बातें तो गुजरात की आदत में हैं। मोदी ने ये तक ऐलान कर दिया कि बीजेपी 30 अक्टूबर को अयोध्या में एक और जलियांवाला बाग के लिए तैयार है।
दरअसल तय योजना के मुताबिक 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू होकर यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में खत्म होनी थी। रथयात्रा की कामयाबी को देखते हुए मोदी को प्रबंधन का मास्टर का खिताब मिल गया और आज दोनों यात्राओं के रथी अपने घर बैठे है और सारथी का अश्व कुलांचे भर रहा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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