ग्वालियर। इसे आप व्यापमं घोटाले की जांच रही एसआईटी की लापरवाही कहें या षडयंत्र परंतु निर्धारित 90 दिनों में योगेश उपरीत के खिलाफ चालान पेश नहीं किया गया और उन्हें जमानत मिल गई। याद दिला दें कि व्यापमं के पूर्व डायरेक्टर व डीमेट के कोषाध्यक्ष डॉ योगेश चंद्र उपरीत ने ही अपनी गिरफ्तारी के बाद डीमेट घोटाले के राज खोले थे। सीबीआई भी उनसे पूछताछ की तैयारी कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में डीमेट घोटाले को लेकर बहस जारी है अत: उपरीत का सुरक्षित रहना जरूरी था जो जेल में ही संभव था। जमानत के बाद उपरीत की जिंदगी खतरों से भर गई है।
उपरीत के खिलाफ आईपीसी की धारा 467, 468, 471, 420 आदि के तहत मामला दर्ज है। व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच पूर्व में एसआईटी कर रही थी लेकिन उसने चालान पेश नहीं किया। बाद में व्यापमं मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने योगेश उपरीत का मामला अपने सुपुर्द ले लिया।
डॉ. जौहरी के खिलाफ भी चालान पेश नहीं
फरार चल रही डॉ रिचा जोहरी के पिता प्री-पीजी फर्जीवाड़ा के आरोपी जबलपुर के डॉ. मुकेश स्वरूप जौहरी को एसआईटी ने 6 जून को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया था। डॉ. मुकेश पर व्यापमं के पूर्व संचालक डॉ. योगेश चंद्र उपरीत की सहायता से अपनी बेटी का फर्जी रूप से प्री-पीजी में प्रवेश कराने का आरोप है। इस मामले में भी एसआईटी ने चालान पेश नहीं किया। इसके चलते डॉ. जौहरी को भी जमानत मिल गई है।