मनोज मराठे। ये सवाल कई लोग पूछते है जो अध्यापकों का इतिहास, वर्तमान ओर भविष्य नहीं जानते। सरल शब्दों मे अध्यापकों ओर नियमित शिक्षकों मे कुछ अंतर समझते है।
कुछ कारणो पर ध्यान दे-
1. मध्यप्रदेश का अध्यापक विध्यालयों मे पढ़ाता जरूर है पर नियमित शिक्षकों के समान शिक्षा विभाग का कर्मचारी नहीं है। ये चमत्कार मध्यप्रदेश मे ही हो सकता है।
2. अध्यापक सभी सरकारी काम तो करते है पर
राज्य सरकार के नियमित कर्मचारी नहीं माने जाते ।
3. नियमित कर्मचारियों एवं स्थायी शिक्षको को मिलने वाली कई सुविधाओं से अध्यापक वंचित है।
4॰ प्रदेश के कर्मचारियों ओर नियमित शिक्षकों को जो 6 ठा वेतनमान 2006 से मिल रहा है वो अध्यापकों को 2017 से मिलेगा पूरे 11 साल बाद वो भी कई विसंगतियों के साथ।
5. अध्यापकों को नियमित शिक्षकों के समान ट्रान्सफर की सुविधा नहीं है । घर से सेकड़ों किलोमीटर दूर 18 सालो से हजारों अध्यापक वनवास भोग रहे है । जबकि हर जिले मे सेकड़ों पद खाली होते है । पर अध्यापको का ट्रान्सफर नहीं होता।
6. अध्यापको को रिटायरमेंट के बाद किसी प्रकार की मासिक पेंशन नहीं मिलेगी । जो नियमित कर्मचारियों ओर शिक्षकों को मिलती है।
7 . जीते जी तो ठीक मरने के बाद भी भेदभाव खत्म नहीं होता। नियमित शिक्षको को मिलने वाली समूह बीमा योजना का लाभ अध्यापकों को नहीं मिलता ।
8. प्रदेश के सभी विभागों मे भर्ती नियमित पदो पर की जाकर कर्मचारियो को पूर्ण वेतन प्रारम्भ से मिलता है। पर शिक्षा विभाग मे समस्त व्यावसायिक एवं शेक्षणिक योग्यता अनिवार्य
करने ओर परीक्षा से भर्ती करने के बाद भी 3 सालो तक मजबूर युवाओ को मजदूरों से भी कम वेतन पर संविदा पर रखकर शोषण होता है ।
9. अतिथि शिक्षको का शोषण तो ओर भी अधिक है , कब उन्हे नोकरी पर रखा जाता है कब निकाला कोई नहीं जानता । ओर वेतन मनरेगा के मजदूर से भी कम ।
10. अध्यापको मे वरिष्ठ अध्यापको को 18 सालो से कोई प्रमोशन नहीं मिला न इसकी कोई नीति है ।जब की उन के साथ काम करने वाले उच्चश्रेणी शिक्षक से प्धान पाठक पर पदोउन्नत होने के बाद व्याख्याता पद पर और ऊस के बाद प्राचार्य के पद पर प्रमोशन पागये तो वही वरिष्ठ अध्यापको का प्मोशन परिक्षा के आधार पर क्या वरिष्ठ अध्यापको मे योग्यता की कमी है या फिर ऐसी कौनसी योग्यता व्याख्याताओ मे है जो हमारे अध्यापको मे नही है फिर काहे की परिक्षा सिधे सरकार दे प्रमोशन
11. शिक्षा विभाग ओर राज्य सरकार के कर्मचारी
नहीं होने के कारण अध्यापको को वह 7 वां वेतनमान भी नहीं मिल पाएगा जो अन्य शिक्षकों को 1 जनवरी 2016 से मिलना संभावित है ।
यही नही जब छत्तीसगढ सरकार ने हमारे साथ नियुक्त सभी अध्यापक भाईयो को निश्चीत अवधी के आधार पर पूर्ण लाभ देदिया और उसी समय प्रदेश के मुखियाजी ने छत्तीसगढ से अच्छा देने की बात कहिथी पर उस के बराबर भी नही दिया तभी से अध्यापको के अंदर आक्रोश दबा हुवा है !
अब अगर अध्यापक बार बार हड़ताल ना करे तो क्या करे । परिवार तो उसका भी है जिसका पालन पोषण करना है । इन समस्याओ का स्थायी समाधान 18 वर्षों मे भी सरकारे नहीं कर पायी । इतना इंतजार कम है ?
मनोज मराठे
अध्यापक मोर्चा
महेश देवडा
एक आम अध्यापक