नईदिल्ली। जिस बाल वैज्ञानिक को अमेरिका का राष्ट्रपति ओबामा, फेसबुक का संस्थापक जुकरबर्ग और हिलैरी क्लिकंन जैसे लोगों का समर्थन मिल रहा हो, कोई भी देश या सरकार ऐसे प्रतिभाशाली के साथ कैसा व्यवहार करेगी। पाकिस्तान की बेवकूफ पुलिस ने उसे आतंकवादी समझकर जेल में ठूंस दिया। पुलिस समझ ही नहीं पाई कि वो जिसे बम समझ रही है, दरअसल वो एक डिजिटल घड़ी है जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में चल रहे 5वें वार्षिक गूगल विज्ञान मेले में आए लोग उस वक्त आश्चर्य में पड़ गए जब उन्होंने 14 साल के अहमद मोहम्मद को देखा। यह वही बाल वैज्ञानिक है जिसने अपने घर में बैठे बैठे डिजिटल घड़ी बना डाली।
टेक्सास के इरविन में रहने वाले सूडानी मूल के अहमद को मशीनों से खेलने का शौक है। उसने कभी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया लेकिन उसने सब का ध्यान खींचा। मेले में अंतिम दौर में पहुंचे युवा वैज्ञानिकों ने कल अपनी परियोजनाएं दिखाईं।
अहमद अंतिम दौर में पहुंचे प्रतिभागियों के बूथों पर गए, उनके चेहरे तब चमक उठे जब उन्होंने अहमद को पहचाना। माउंटेन व्यू स्थित गूगल के मुख्यालय में चल रहे विज्ञान मेले में आए स्थानीय छात्रों से भी अहमद ने बातचीत की।
एक छात्र ने कहा, ‘हमे आपके बारे में स्कूल में पता चला था।’ गूगल हर साल विज्ञान मेले का आयोजन करता है। इसका मकसद लोगों में वैज्ञानिक जिज्ञासा की खोज करना और इसके लिए उन्हें प्रेरित करना होता है।
इस वर्ष की इसकी थीम है ‘दुनिया को बदलने की अब आपकी बारी है।’ नौवीं कक्षा का छात्र अहमद अपना डिजिटल क्लॉक लेकर आया था जो उसने अपने शिक्षक को दिखाने के लिए एक पेंसिल के डिब्बे से बनाया था। शिक्षक ने गलती से इस घड़ी को बम समझ लिया और कुछ ही घंटे बाद पुलिस ने अहमद को हथकड़ी लगा दी।
इस घटना से देश भर में असंतोष की एक लहर उठी जिसके बाद इस किशोर को राष्ट्रपति ओबामा , डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की मुख्य दावेदार हिलेरी क्लिंटन और फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का समर्थन मिला।