इंदौर। भाइयों के खिलाफ बहन द्वारा लगाए घरेलू हिंसा के प्रकरण में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि विवाहित बहन को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पैतृक संपत्ति में हिस्सा मांगने का अधिकार नहीं है। वह चाहे तो हिस्सेदारी के लिए अलग से दीवानी मुकदमा लगा सकती है। 53 साल की बहन ने शादी के 30 साल बाद भाइयों के खिलाफ यह प्रकरण पेश किया था।
देपालपुर तहसील के छोटा बांगड़दा में रहने वाले दो भाई राजकिशोर शुक्ला और राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ सगी बहन आशा शुक्ला ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी। जिला न्यायालय में लगाए केस में उसने कहा कि पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगने के लिए वह भाइयों के घर गई तो उन्होंने उसके साथ घरेलू हिंसा करते हुए हिस्सेदारी देने से इंकार कर दिया।
जिला न्यायालय ने दोनों भाइयों के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर नोटिस जारी कर दिए। शुक्ला भाइयों ने निचली अदालत के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। एडवोकेट राघवेंद्रसिंह रघुवंशी ने बताया कि न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने याचिका स्वीकारते हुए निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि विवाहिता बहन को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का कोई अधिकार नहीं है। यह राहत जरूर दी कि वह चाहे तो हिस्सेदारी के लिए अलग से दीवानी मुकदमा लगा सकती है। -नप्र