नईदिल्ली। अंतत: साबित हो ही गया कि पाकिस्तान की सरकार और खुफिया ऐजेंसी आईएसआई तालिबान के संपर्क में थे और सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही थी। इसके सबूत भारत ने नहीं बल्कि अमेरिका ने उजागर किए हैं।
तलिबान सरगना मुल्ला उमर ने वर्ष 2000 में पाक के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को कंधार पर बम गिराने की चुनौती दी थी। पाकिस्तान सरकार और आईएसआई मुल्ला उमर के संपर्क में थे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक गोपनीय रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से यह बात सामने आई है।
तत्कालीन अमेरिकी विदेश उपमंत्री थॉमस पिकरिंग और परवेज मुशर्रफ के बीच हुई मुलाकात पर सार्वजनिक किए गए दस्तावेज (केबल) में कहा गया है कि मुल्ला उमर ने मुशर्रफ सरकार से कहा था कि अगर उसको तालिबान की नीतियां पसंद नहीं हैं तो वह कंधार पर बमबारी कर सकती है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यह बात मुशर्रफ ने 26 मार्च 2000 को पिकरिंग के साथ भेंटवार्ता में बताई थी। इस भेंटवार्ता में परवेज मुशर्रफ ने डीजी आईएसआई महमूद की कंधार यात्रा का हवाला देते हुए उन्हें समझाने का प्रयास किया था कि तालिबान से निपटना कितना कठिन हो सकता है।
मुशर्रफ के अनुसार मुल्ला उमर ने महमूद से कहा था कि वे इस बात के लिए क्षमा चाहते हैं कि तालीबान की नीतियां, पाकिस्तान की नीति के लिए कठिनाइयों का कारण बन रही हैं। उमर ने कहा था कि इस्लामाबाद को यदि उनकी नीतियां पसंद नहीं हैं तो वह कंधार पर बमबारी कर सकते हैं।