CBI ने सीएम हाउस पर छापा क्यों नहीं मारा: कांग्रेस

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आज देश के सबसे चर्चित और प्रदेश को शर्मसार करने वाले व्यापम महाघोटाले को लेकर सीबीआई के एक साथ लगभग 40 स्थानों पर की गई छापे की कार्यवाही को देर से उठाया गया उचित कदम निरूपित करते हुए कहा कि जब सीबीआई व्यापमं महाघोटाले से जुड़े नामचीन चेहरों के निवासों सहित प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के उत्तर प्रदेश स्थित निवास और राजधानी भोपाल स्थित व्यापमं कार्यालय पर छापा डाल सकती है तो शिवराजसिंह चौहान का मुख्यमंत्री निवास अछूता क्यों है?

उन्होंने सीबीआई से यह भी आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री निवास के सभी टेलीफोन, मुख्यमंत्री के नाम पर चल रहे बीएसएनएल के मोबाईल नं. 9425609855 और इसके साथ एक अन्य नबंर 9425609866 जिसका उपयोग शिवराजसिंह चौहान की पत्नी श्रीमती साधनासिंह द्वारा किया जाता था, जिसे 27 मार्च, 2014 को अकस्मात बंद करा दिया गया सहित मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एस.के. मिश्रा व जमानत पर रिहा उनके ओएसडी प्रेमप्रसाद के भी काॅल डिटेल्स् और लोकेशन को भी जांच की परिधि में शामिल किया जाये।

गेमन इंडिया में इंवेस्ट की गई है व्यापमं की काली कमाई
आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने एक बड़ा रहस्योद्घाटन करते हुए कहा है कि व्यापम महाघोटाले को लेकर जेल में बंद व्यापम के चीफ सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिन्द्रा द्वारा इस घोटाले के माध्यम से कमाई गई काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा गेमन इंडिया निर्माण कंपनी में भी निवेश किये जाने के पुख्ता प्रमाण हैं। इस महत्वपूर्ण बिंदु को भी सीबीआई शीघ्र ही अपने संज्ञान में ले।

आरटीओ भर्ती घोटाले के आरोपियों को भी पकड़ो
मिश्रा ने सीबीआई से यह भी आग्रह किया है कि व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षाओं में परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में सबसे बड़ा घोटाला हुआ है, जिसमें 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती किये जाने की अधिसूचना के विरूद्व 332 परिवहन आरक्षकों का चयन नियमों के विपरीत न केवल किया गया है, बल्कि अन्य प्रांतों के अभ्यर्थियों के भी फर्जी दस्तावेज बनाकर उनका चयन कर दिया गया है। राजनैतिक दबाववश तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा ने चयनित परिवहन आरक्षकों को नियमों के विरूद्ध राहत प्रदान करते हुए उनके फिजीकल टेस्ट भी न कराये जाने हेतु सरकारी पत्र जारी किया था। परिवहन विभाग से जुड़े इस बड़े महाघोटाले के सामने आने के बाद विभाग ने लगभग 40 से अधिक फर्जी नियुक्तियों के बाद चयनित परिवहन आरक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर इन नियुक्तियों में हुए भारी भरकम भ्रष्टाचार को प्रमाणित कर दिया है, किंतु इस बड़े महाघोटाले में तत्कालीन परिवहन मंत्री देवड़ा, तत्कालीन परिवहन आयुक्त और आईपीएस अधिकारी एस.एस. लाल, अतिरिक्त परिवहन आयुक्त व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आर.के. चौधरी, देवड़ा के ओएसडी दिलीप राज द्विवेदी की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को एसटीएफ ने राजनैतिक दबाववश अब तक नहीं छुआ है। लिहाजा, इनकी भूमिकाओं को भी सीबीआई संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करे। 

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