भोपाल। शिवपुरी में शिक्षकों की मोबाइल मानीटरिंग का मामला राजधानी तक आ पहुंचा है। शिवपुरी डीपीसी शिरोमणि दुबे मोबाइल मानीटरिंग में अनुपस्थित शिक्षकों के 7 दिन का वेतन काट रहे हैं परंतु विभागीय विशेषज्ञों का कहना है कि वेतन काटने का अधिकार ना तो डीपीसी को है और ना ही डीईओ को।
लापरवाह शासकीय सेवकों के लिए तय किए गए दण्ड प्रावधानों में वेतन कटौती की व्यवस्था ही नहीं है। यदि कोई कर्मचारी जांच के दौरान ड्यूटी पर अनुपस्थित पाया जाता है तो उसे अनुपस्थित मार्क किया जाता है एवं उसका एक अवकाश एडजस्ट कर दिया जाता है।
यदि वर्तमान शिक्षण सत्र में उसके पास अवकाश शेष ना हो तो आगामी शिक्षण सत्र से अवकाश समायोजित कर दिया जाता है परंतु वेतन किसी भी हालत में नहीं काटा जा सकता।
तो फिर क्या करें लापरवाह कर्मचारियों का
सेवा से बिना सूचना अनुपस्थित कर्मचारियों को नोटिस थमाया जाता है। यदि वो संतोषजनक जवाब प्रस्तुत ना कर पाएं तो उन्हें सस्पेंड भी किया जा सकता है। नियम बोलते हैं कि निलंबन किसी भी कर्मचारी के लिए सजा नहीं है बल्कि जांच की एक प्रक्रिया मात्र है जबकि वेतन की कटौती एक सजा है जो बिना सुनवाई के नहीं दी जा सकती। जिला स्तर पर तो किसी भी अधिकारी को इसका अधिकार नहीं है।