केवी लक्ष्मण। तमिलनाडु के मदुरई ज़िले में एक आईएएस अफसर कब्रिस्तान में ही जा डटा। वो यहां ना केवल दिनभर रहा, बल्कि रात को यहीं खाट बिछाकर सो गया। इस आईएएस अफसर का नाम है यू सहायम। वो किसी पागलपन का शिकार नहीं हैं और ना ही तांत्रिक बल्कि वो तो उन सबूतों की रक्षा कर रहे हैं जो खनिज माफिया के खिलाफ जुटाए जा रहे हैं। सहायम ने 16000 करोड़ के घोटाले के खिलाफ सबूत जमा कर लिए हैं।
दरअसल इस कब्रिस्तान में 1990 में कुछ लाशें दफनाई गईं थीं। सहयाम को पता चला कि लाशों का कनेक्शन खनिज घोटाले से है अत: वो खुद लाशों के कब्रिस्तान से निकालकर जांच कराने जा पहुंचे। कहीं खनिज माफिया लाशों को गायब ना कर दे, इसलिए वो खुद कब्रिस्तान में दिनभर डटे रहे और रात को वहीं विश्राम किया।
आईएएस सहायम को जानने वाले कहते हैं कि यह उनके लिए नया नहीं है। सहायम हैं ही ऐसे। जो काम मिलता है उसे हर हाल में पूरा करते हैं। उन्हें अवैध खनन रोकने वाली समिति का प्रमुख बनाया गया था, इसलिए वो इस काम में पूरी ताकत के साथ जुट गए।
साल 2011 में भी ऐसा ही हुआ था। मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरेशी ने ख़ुद सहायम को चुना और मदुरई और आस-पास के इलाक़ों में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी सौंपी। सहायम ने काफ़ी कड़ाई से चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों को पूरी तरह लागू किया और चुनाव में किसी तरह की कोई धांधली नहीं होने दी। बाद में डीएमके नेता अलागिरी ने पुलिस ज़्यादती की शिकायत की। पर उस समय वे स्वयं केंद्रीय मंत्री थे और उनके पिता राज्य के मुख्यमंत्री।
करुणानिधि ने की शिकायत
करुणानिधि ने ख़ुद मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत की थी कि उस समय "तमिलनाडु में आपातकाल जैसे हालात कर दिए गए थे।" सहायम ने तिरुमंगलम फ़ार्मूले को पूरी तरह नाकाम कर दिया। इसके तहत कथित तौर पर वोटरों को वोट के हिसाब से पैसे दिए जाते थे। इसकी कोई शिकायत नहीं हो पाती थी। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त क़ुरैशी ने चुनाव मे पैसे के इस खेल को रोकने के लिए सहायम की जम कर तारीफ़ की थी।
20 साल में 20 तबादले
तमिलनाडु के आईएएस अफ़सर यू सहायम चुनाव के बाद सहायम खनन से जुड़ी तमाम तरह की ग़ैर-क़ानूनी गतविधियों को रोकने में जुट गए। पर सरकार ने उन्हें जल्द ही बुनकरों के सहकारी संगठन को-ऑपटेक्स का महानिदेशक बना कर खनन विभाग से बाहर कर दिया। सहायम का 20 साल में 20 बार तबादला हो चुका है।