प्रमोद त्रिवेदी/इंदौर। व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच के बीच अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन(एनएचएम) के तहत मध्यप्रदेश के जिला अस्पतालों में हुई प्रबंधकों की नियुक्तियों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। चयनित न हो सके प्रतिभागियों का आरोप है कि एनएचएम ने नियम विरुद्ध नियुक्तियां दीं। रतलाम के अस्पताल प्रबंधक का इंटरव्यू लिस्ट में नाम नहीं था, लेकिन उन्हें सीधे नियुक्ति दे दी गई। कुछ लोगों की मार्कशीट देखे बिना इंटरव्यू में बुला लिया तो कुछ के अनुभव प्रमाणपत्र संदिग्ध हैं।
गड़बड़ी सामने न आ सके, इसके लिए स्वास्थ्य मिशन के जिम्मेदारों ने नियुक्ति पत्र में स्पष्ट लिख दिया कि हमने राज्य स्तर पर डॉक्यूमेंटस चेक कर लिए हैं, इसलिए जिला स्तर पर चेक न करें। चुने गए अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि जैसे भी सर्टिफिकेट उन्होंने दिए, एनएचएम ने पदस्थ ही क्यों किया।
रतलाम में तो कमाल ही कर दिया
रतलाम में अस्पताल प्रबंधक के पद पर पदस्थ मिमोहा कमाल सैमुअल का नाम इंटरव्यू लिस्ट में नहीं था। लेकिन 1 अगस्त 2015 को जारी फाइनल लिस्ट में नवे नंबर पर इन्हें सिलेक्ट कर लिया गया। गड़बड़ी पकड़ में ना आए इसके लिए ऑनलाइन डेट ऑफ बर्थ के फॉर्मेट में भी गड़बड़ी की गई। अन्य उम्मीदवारों के डेट फॉर्मेट में पहले महीना भरा गया, लेकिन मिमोहा के डेट फॉर्मेट में पहले जन्म दिनांक भरा गया।
गड़बड़ियां और भी कई
इंदौर में पदस्थ किए गए गौतम पाटीदार की अंकसूची की जगह डिग्री जमा की गई। डिग्री पर प्रतिशत नहीं लिखा था, लेकिन फिर भी इंटरव्यू लिस्ट में प्रतिशत देकर नियुक्त किया गया। इसके साथ गौतम पाटीदार के कम्प्यूटर अनुभव प्रमाण-पत्र में मुंबई की इंस्टीट्यूट का 16 साल पुराना अनुभव प्रमाण-पत्र है। इसमें न तो संस्था का पता है और न ही इसके स्तर की जानकारी। फिर भी 10 अंक दिए गए। शहडोल में पदस्थ किए गए रिषीकेश अत्रे की भी अंकसूची संलग्न नहीं थी, लेकिन इन्हें इंटरव्यू में चुन लिया गया।
...लेकिन नियम विरुद्ध नियुक्तियां
जिन्हें नियुक्ति देना थी, उनके सादा कागज पर बने अनुभव प्रमाण को मान्य कर लिया। 10 अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण-पत्र डिग्री से पहले और बिना बैंक स्टेटमेंट के भी मान्य किए गए। 50 बेड की अनिवार्यता को नजरअंदाज किया। प्रायवेट कम्प्यूटर क्लास का बिना मान्यता के कम्प्यूटर सर्टिफिकेट पर भी 10 अंक दे दिए। एक पद पर 5 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाना था, लेकिन 3 को ही बुलाया। बिना वेरीफिकेशन सर्टिफिकेट मान्य करके नियुक्ति दी गई। दावेआपत्ति के लिए सात दिन के समय के बजाय इंटरव्यू लिस्ट निकालने के तीसरे दिन से ही साक्षात्कार शुरू कर दिए गए।
मिमोहा कमाल की नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बिना अंकसूची प्रतिशत जोड़ने के बारे में हमारे पास कोई शिकायत नहीं है। कम्प्यूटर और अनुभव के भी सभी उम्मीदवारों के दस्तावेज सत्यापित किए गए। सीएमएचओ को नियुक्त अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र चेक करने से पहले क्यों नहीं मना किया गया, इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। -डॉ. बीएन चौहान, डायरेक्टर, एनएचएम
- ऐसी हुईं नियुक्तियां
- सुमन पड़ोलिया, दतिया- अस्पताल प्रबंधक की जगह चिरायु अस्पताल में पीए का अनुभव मान्य किया।कम्प्यूटर सर्टिफिकेट दो माह ट्रेनिंग का।
- ममता डहेरिया, सिवनी- अस्पताल प्रबंधक की जगह स्टोर प्रबंधक का अनुभव मान्य।
- इच्छिता सिंह, छिंदबाड़ा- जौहरी अस्पताल का अनुभव प्रमाण-पत्र, जबकि जौहरी अस्पताल 50 बेड नहीं, 40 बेड है। कम्प्यूटर डिप्लोमा सागर से, लेकिन अनुभव प्रमाण-पत्र जबलपुर का। लेकिन दोनों का समय समान।
- ऋति जायसवाल, देवास- ट्रेनिंग सर्टिफिकेट को ही अनुभव प्रमाण-पत्र मान लिया।
- श्याम जाटव, शाजापुर- अस्पताल प्रबंधक की जगह एनजीओ में प्रोजेक्ट को-आर्डिनेटर के अनुभव को ही मान्य किया। श्याम ज्वाइन नहीं कर रहे हैं।
- गौतम पाटीदार, इंदौर- कम्प्यूटर सर्टिफिकेट में संस्था का पता और मान्यता का जिक्र ही नहीं। मार्कशीट की जगह डिग्री लगाई।
- रिषीकेश आत्रे, शहडोल- डिग्री में प्रतिशत नहीं था, मार्कशीट संलग्न नहीं थी, लेकिन मान्य किया।
- राजेंद्र डहेरिया, बालाघाट-डिग्री कम्पलीट होने से पहले ही अनुभव मान्य कर दिया। ट्रेनी के अनुभव को भी प्राथमिकता दी।
- वर्षा चौहान, बुरहानपुर- अस्पताल की जगह फ्लोर मैनेजर का डिग्री से पहले का अनुभव मान्य किया। एक निजी कम्प्यूटर सेंटर का प्रमाण-पत्र।
- नेहा भार्गव, शिवपुरी- डिग्री से पहले का प्रबंधक की जगह इंफेक्शन कंट्रोल ऑफिसर का अनुभव।
- शिखा शुक्ला, राजगढ़- सर्टिफिकेट में सेंटर का नाम और स्थान ही नहीं। अनुभव डिग्री से पहले का।
- हर्षा नक्र, मंदसौर- डिग्री से पहले का अनुभव। कम्प्यूटर सर्टिफिकेट भी यूजीसी मान्य नहीं।
- रचना दांगी, विदिशा/दिव्या संगथानी, दमोह- डिग्री से पहले का अनुभव।
- दीपक यादव, खरगोन- डिग्री से पहले के अनुभव प्रमाण-पत्र में क्रमांक ही नहीं। कम्प्यूटर सर्टिफिकेट भी मान्यता प्राप्त ओ लेबल नहीं।
- परनोती दिलीप सिंह-बिहार के जिस सेंटर का कम्प्यूटर प्रमाण-पत्र है, उस पर पंजीयन क्रमांक और रोल नंबर के साथ एफिलियेशन का भी उल्लेख नहीं।
- धीरेंद्र दास, टीकमगढ़- अस्पताल प्रबंधक की जगह फ्लोर मैनेजर का अनुभव।
- आशीष गजभिए, मण्डला- अस्पताल प्रबंधक की जगह कॉलेज प्राचार्य का अनुभव ही मान्य
- नीलेश डाबर, गुना- अनुभव डिग्री से पहले का। अस्पताल प्रबंधक की जगह ट्रेनी का अनुभव।