इंदौर। व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय को सूचना के अधिकार में जानकारी नहीं देने वाले 6 सीनियर डॉक्टर फंस गए हैं। राज्य सूचना आयोग ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व और वर्तमान अधीक्षक और रिटायर्ड डीन पर करीब 75 हजार रुपए का जुर्माना ठोंका है। ड्रग ट्रायल की जानकारी नहीं देने पर यह कार्रवाई हुई है। उधर आवेदक कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है उनका आरोप है कि जानकारी छुपाने वाले मुख्य डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की गई।
डॉ. आनंद राय ने 2005 से 2010 के बीच 90 से ज्यादा दवाईयों का 81 मरीजों पर ड्रग ट्रायल का आरोप लगाया था। 2010 में डॉ. राय ने सूचना के अधिकार में एमवायएच में हुए ड्रग ट्रायल की जानकारी मांगी थी। डॉक्टरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया व चार साल बाद भी जानकारी नहीं दी। कोर्ट में केस फाइल किया और कोर्ट के आदेश के बाद भी जानकारी नहीं देने पर आवेदक ने अवमानना याचिका दर्ज की।
कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग को जानकारी देने का आदेशत दिया। आयोग ने भी जानकारी मांगी लेकिन संबंधित डॉक्टरों ने जानकारी नहीं दी। जानकारी नहीं मिलने पर डॉ. सलील भार्गव (वर्तमान में सागर में पदस्थ) पर 20 हजार रुपए, डॉ. बीएस भाटिया पर 20 हजार, डॉ. पीएस ठाकुर पर 5 हजार, डॉ. एडी भटनागर पर 10 हजार, डॉ. एमके सारस्वत पर 10 हजार व डॉ. पुष्पा वर्मा (पूर्व डीन) पर 15 हजार जुर्माना लगाया गया। उधर आवदेक डॉ. राय कार्रवाई से असंतुष्ट है।
जुर्माना नहीं जानकारी चाहिए
आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. राय का कहना है कि राज्य सूचना आयोग ने जानकारी छुपाने वाले मुख्य डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की। डॉ. राय के मुताबिक डॉ. अपूर्व पौराणिक, डॉ. हेमंत जैन, डॉ. अशोक वाजपेयी और डॉ. अनिल भराणी ने जानकारी छुपाई है।
इन पर राज्य सूचना आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। उधर, जुर्माने का पैसा भी आवेदक को दिया जाता है जबकि आदेश में आवेदक को "क्षतिपूर्ति नहीं करने की बात कहीं गई है। आवेदक का कहना है कि कोर्ट में सूचना आयोग को भी पार्टी बनाने पर जानबूझकर उनके साथ बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। हमारा उद्देश्य जुर्माना लगवाना नहीं बल्कि जानकारी दिलवाना है।