व्यापमं: SIT रिश्वतकांड पर हाईकोर्ट ने CBI से मांगा जवाब

Bhopal Samachar
ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एसआईटी पर लगे रिश्तव के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई से जवाब मांगा है। साथ ही लोकायुक्त की याचिका में सीबीआई को पार्टी बनाया गया है। अब सीबीआई जांच को लेकर अपना रुख स्पष्ट करना है। 5 अक्टूबर को इस याचिका की फिर से सुनवाई होगी।

लोकायुक्त ने एक याचिका दायर कर एसआईटी के भ्रष्टाचार की जांच की मांग सीबीआई से की है, क्योंकि मामला व्यापमं व मौतों से जुड़ा है। सीबीआई पूरे मामले की कर रही है। इसलिए जांच सीबीआई को दी जानी चाहिए।

बुद्ध सिंह हिंडोलिया की जमानत की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उमेश कुमार बोहरे ने हाईकोर्ट को बताया था कि एसआईटी पैसों के लिए लोगों को प्रताड़ित कर रही है। एसआईटी का स्टाफ स्मार्ट फोन के लिए रुपए मांग रहा है। जो लोग पैसे नहीं दे रहे हैं, उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। आरोपी एसआईटी की प्रताड़ना से तंग आ गए हैं और उनकी मौत हो रही है।

डॉ.राजेन्द्र तरेटिया, डॉ.सतेन्द्र टैगोर से भी पैसे मांगे थे, लेकिन रुपए नहीं देने पर एसआईटी ने काफी मारपीट की थी। हाईकोर्ट ने रिश्वत मांगने के मामले में डॉ. तरेटिया व टैगोर का शपथ पत्र मांगा था। दोनों ने शपथ पत्र देकर एसआईटी पर आरोप लगाया था कि प्रताड़ना से बचने के लिए 15-15 हजार रुपए दिए थे। हाईकोर्ट ने इन आरोपों की जांच के लिए 6 जुलाई को लोकायुक्त को आदेश दिए थे कि दोनों शपथ पत्र के आधार पर मामले की जांच करें और रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करे। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद लोकायुक्त ने एक याचिका दायर कर सीबीआई से जांच की मांग की है। साथ ही आरोप लगाने वाले छात्रों ने सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।

शपथ पत्र में यह दिए हैं तथ्य
डॉ.तरेटिया के केस की जांच पूरी हो चुकी है। कोर्ट में चालान भी पेश हो चुका है। बावजूद इसके झांसी रोड थाना व थाटीपुर पुलिस बार-बार थाने बुला रही है और पैसे मांग रही है। 15 हजार रुपए भी पुलिस को देने पड़े हैं।

डॉ.राजेन्द्र तरेटिया ने बताया कि डॉ.राजेन्द्र आर्य मरने के कुछ दिन पहले मुझसे से मिले थे। तब वह काफी परेशान थे। डॉ.आर्य ने बताया था कि एसटीएफ परेशान कर रही है। अगर उनकी मांग पूरी नहीं की तो किसी दूसरे अपराध में फंसा देगी। डॉ.आर्य व डॉ.तरेटिया सेंट्रल जेल में एक साथ रहे थे। डॉ. तरेटिया ने बताया कि अखबार से मुझे डॉ.आर्य की मौत की खबर मिली थी। डॉ.राजेन्द्र तरेटिया और डॉ. सतेन्द्र टैगोर अभी जमानत पर हैं।

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