भोपाल। मप्र में वरिष्ठ स्तर पर भी अफसरों का टोटा पड़ता जा रहा है। फिलहाल 100 आईएएस अफसरों की कमी है। आने वाले सालों में यह संख्या इससे ज्यादा हो सकती है। यह स्थिति हर हाल में भ्रष्टाचार को बढ़ाती है और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को मुश्किल बना देती है। फिर भी सरकार इस ओर चिंता नहीं कर रही है।
फिलहाल मप्र में आईएएस के 417 पद स्वीकृत हैं परंतु कुर्सियों पर केवल 316 अधिकारी ही काम कर रहे हैं। इनमें से भी 15 रिटायर्ड हो गए। 24 पद जो प्रमोशन से भरे जाने थे, उन्हें भी रिक्त रखा हुआ है। तीन साल से डीपीसी ही नहीं की गई।
सवाल यह है कि यदि इसी तरह अफसरों का टोटा बढ़ता गया तो आम आदमी की पहुंच से अफसर नाम की चीज बहुत दूर चली जाएगी। अभी भी आईएएस अधिकारी आम आदमी के संपर्क में नहीं है। हालात यही रहे तो उनका दर्द सुनने वाला कोई बचेगा ही नहीं। दूसरी ओर इससे भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ेगा। इतना ही नहीं शिवराज को तीसरी बार सत्ता में लाने वालीं कल्याणकारी योजनाओं का संचालन भी मुश्किल हो जाएगा।