सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मप्र सरकार ने पिछले दिनों लाखों टन धान साइस मिलर्स का बेच दिया। सरकार ने यह धान 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था जबकि राइस मिलर्स को 600 के भाव से बचे दिया।
किसी भी सरकारी अधिकारी से बात करेंगे तो आपको सरकार का यह कदम उचित प्रतीत होगा परंतु कड़ियां जोड़ेंगे तो समझ आएगा कि यह तो बड़ा घोटाला है:
- सन् 2012-13 में सरकार ने किसानों से उत्त्म दर्जे का धान 1300 के भाव से खरीदा और परिवहन पर 200 रुपए प्रति क्विंटल खर्चा किया।
- प्रदेश भर से लाखों टन धान खरीदा गया।
- लेकिन इसे सुरक्षित स्टोर नहीं किया गया, बल्कि खुले मैदानों में छोड़ दिया गया।
- बालाघाट जिले के गर्रा, वारासिवनी के खापा, परसवाड़ा एवं कटंगी के चिकमारा गांव में भण्डारन हेतु ओपन कैप बनाये गये।
- खुले में पड़ा धान खराब होता गया, सड़ने लगा।
- 2015 में इस धान को उपयोग के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया।
- सरकार ने सड़े हुए धान की नीलामी के लिए निविदाएं बुलाईं।
- मुख्यमंत्री की ससुराल गोंदिया स्थित राइस मिलों के साथ कई अन्य मिलर्स ने भी टेंडर डाले।
- चुनिंदा राइस मिलर्स को 600 रुपए पति क्विंटल के भाव से बेच दिया गया।
- पिक्चर यहीं खत्म नहीं होती।
- राइस मिलर्स इस सड़े हुए धान को अच्छी क्वालिटी वाली धान में मिला देते हैं और एक बार फिर यह धान सरकार को महंगे दामों पर बेच दी जाएगी।
कितने विभागों का जाल
- मप्र विपणन संघ
- मप्र नागरिक आपूर्ति निगम
- स्थानीय प्रशासन एवं खाद्य विभाग